Sultanpur encounter: उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में हुए मुठभेड़ मामले में अब नया मोड़ आया है। मारे गए मंगेश यादव की मां, शिला, ने अब इस मामले को अदालत में ले जाने का फैसला किया है। उन्होंने जौनपुर की CJM अदालत में एक याचिका दायर की है, जिसमें सुलतानपुर के पुलिस अधीक्षक, STF के प्रभारी DK शाही और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश का आरोप लगाया है। CJM अदालत ने मामले को दर्ज करते हुए पुलिस स्टेशन के प्रभारी बक्शा से रिपोर्ट पेश करने के लिए 11 अक्टूबर 2024 की तारीख निर्धारित की है।
मामला क्या है?
मंगेश यादव के मुठभेड़ की यह घटना प्रदेश में काफी चर्चित रही है। जौनपुर में कोर्ट में दायर की गई याचिका में शिला ने बताया कि 02 और 03 सितंबर 2024 की रात लगभग 2 बजे 4-5 पुलिसकर्मी उनके दरवाजे पर आए और उनके बेटे मंगेश यादव को जगाकर ले जाने लगे। जब उन्होंने पूछा कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है, तो पुलिसकर्मियों ने कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए ले जाया जा रहा है और बाद में छोड़ दिया जाएगा।
शिला ने कहा कि बक्शा थाना के SHO ने उनके घर पर आकर वीडियो बनवाया और उन्हें कहा कि आपका बेटा पिछले दो-तीन महीनों से घर पर नहीं है। इसके अगले दिन, 05 सितंबर 2024 को बक्शा पुलिस ने शिला को बताया कि क्या उन्हें पता है कि उनका बेटा कहां है। उन्होंने कहा, “जाओ और अपने बेटे मंगेश का शव सुलतानपुर के पोस्ट-मॉर्टम हाउस से ले आओ।”
पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट का न होना
शिला ने कोर्ट में दी गई शिकायत में कहा है कि जब उन्हें अपने बेटे की मौत की सूचना मिली, तो वह स्तब्ध रह गईं और रोने लगीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके बेटे को घर से उठाया और उसे गोली मारकर हत्या कर दी। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे की हत्या पुलिस की हिरासत में की गई है। बक्शा थाना की पुलिस मेरे बेटे को 4-5 पुलिसकर्मियों के साथ मेरे घर से ले गई। हमें अभी तक मंगेश की पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट भी नहीं दी गई है।”
5 सितंबर को हुई मुठभेड़
बता दें कि 28 अगस्त को पांच सशस्त्र लोगों ने सुलतानपुर के माजर्गंज क्षेत्र में दिन-दहाड़े एक ज्वेलरी की दुकान से 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति लूट ली थी। पुलिस का आरोप है कि मंगेश इस घटना में भी शामिल था, जबकि मृतक के परिवार वालों ने इसका खंडन किया है। मंगेश यादव को 5 सितंबर को एक पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया।
मुठभेड़ पर सवाल उठते हैं
इस मुठभेड़ के बाद से कई सवाल उठ रहे हैं। परिवार के सदस्यों ने मंगेश की संलिप्तता को नकारते हुए कहा है कि पुलिस ने बिना किसी ठोस सबूत के उनके बेटे को मार दिया। इस मामले ने मानवाधिकार संगठनों और आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
कई लोगों का मानना है कि यह मुठभेड़ एक “फर्जी मुठभेड़” हो सकती है, जिसमें निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जाता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस मामले की पूरी जांच की जाए और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
पुलिस और सरकार की भूमिका
पुलिस का कार्य केवल अपराधियों को पकड़ना और कानून व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि निर्दोष लोगों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। यदि पुलिस का एक विशेष समूह गलत तरीके से काम कर रहा है, तो यह न केवल समाज के लिए खतरनाक है, बल्कि यह पुलिस के पूरे विभाग की छवि को भी प्रभावित करता है।
सरकार को इस मामले में गंभीरता से हस्तक्षेप करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई कानून के दायरे में हो। यदि मंगेश यादव का मुठभेड़ बिना किसी उचित प्रक्रिया के हुआ है, तो यह न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि यह समाज के लिए एक बड़ा संदेश भी है।
सामाजिक न्याय की मांग
इस मामले ने एक बार फिर से सामाजिक न्याय की आवश्यकता को उजागर किया है। मंगेश की मां शिला की याचिका केवल एक मां का दुख नहीं है, बल्कि यह समाज में फैले अन्याय के खिलाफ एक आवाज है। यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग एकजुट हों और ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं।
अगर हमें अपने समाज को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाना है, तो हमें इन मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह समाज का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को सुरक्षित और सम्मानित जीवन दे।