Noida: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नोएडा की लोटस-300 परियोजना में फ्लैट खरीदारों से धोखाधड़ी के मामले में हसीएंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (HPPL) के तीन पूर्व निदेशकों से पूछताछ करने की तैयारी की है। इस सप्ताह इन सभी तीनों को नोटिस जारी कर बुलाया जाएगा। ये सभी तीनों निदेशक नोएडा प्राधिकरण से पट्टे पर मिली भूमि के एक हिस्से को दूसरे बिल्डर को बेचे जाने के मामले में पूछताछ का सामना करेंगे।
HPPL का भूमि पट्टा
HPPL ने वर्ष 2010-11 में नोएडा प्राधिकरण से लोटस-300 परियोजना के तहत भूमि ली थी। इस भूमि का पट्टा नर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विदुर भारद्वाज के नाम पर था, जो कंपनी के तत्कालीन प्रमोटर/निदेशक थे। यह आरोप लगाया गया है कि निवेशकों से जुटाई गई 190 करोड़ रुपये की राशि का अन्य कंपनियों में डायवर्जन किया गया और इसे गबन किया गया।
इसके अतिरिक्त, लगभग 236 करोड़ रुपये की राशि का एक हिस्सा दूसरे बिल्डर को भूमि बेचकर लूटा गया। सूत्रों का कहना है कि भूमि पहले थ्री-सी डेवलपर्स के नाम पर रजिस्टर की गई थी। इसके बाद, इसे कांग्रेस नेता के करीबी प्रातिक ग्रुप को बेच दिया गया।
धन की जांच
प्रवर्तन निदेशालय यह भी जांच कर रहा है कि भूमि बेचने से मिली धनराशि का निवेश कहां किया गया। इस मामले में निवेशकों से 426 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जा रही है, जिसके लिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पूर्व IAS अधिकारी मोहन सिंह की फिर से पूछताछ
इस मामले में पूर्व IAS अधिकारी मोहन सिंह को 5 अक्टूबर को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है। ED ने 17 और 18 सितंबर को HPPL और क्लाउड नाइन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशकों नर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी और विदुर भारद्वाज के स्थानों पर छापे मारे थे। इसके अलावा, नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहन सिंह के चंडीगढ़ स्थित निवास पर भी छापेमारी की गई थी।
25 सितंबर को पूछताछ से अनुपस्थिति
ED ने मोहन सिंह को 25 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद, उन्हें फिर से पूछताछ के लिए 5 अक्टूबर को नोटिस दिया गया है।
मामला की गंभीरता
इस मामले की गंभीरता यह दर्शाती है कि कैसे कुछ लोगों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग किया। ED की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि वे ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो आम जनता के वित्तीय हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।
भविष्य में संभावित परिणाम
यदि ED इन पूर्व निदेशकों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाती है, तो यह संभव है कि उन्हें गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़े। इसके अलावा, यह मामला भविष्य में भी अन्य बिल्डरों और अधिकारियों के लिए एक चेतावनी का काम करेगा, ताकि वे ऐसी गतिविधियों से बचें और निवेशकों के धन की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
निवेशकों का विश्वास
इस मामले के खुलासे से यह भी प्रभावित होगा कि निवेशक भविष्य में किन परियोजनाओं में निवेश करते हैं। यदि वे समझते हैं कि उनके पैसे का दुरुपयोग किया जा सकता है, तो वे निवेश करने से हिचकिचाएंगे। इसीलिए, सरकारी संस्थाओं को ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि आम जनता का विश्वास बनाए रखा जा सके।