Prayagraj में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा PCS-2024 प्रारंभिक परीक्षा और समीक्षा अधिकारी (RO-ARO) 2024 परीक्षा को दो दिन में आयोजित करने और नॉर्मलाइजेशन लागू करने के निर्णय के खिलाफ हजारों प्रतियोगी छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। इस विरोध में छात्रों ने आयोग के कार्यालय के सामने जमकर प्रदर्शन किया, पुलिस के साथ झड़पें हुईं और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। आइए, समझते हैं इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से लेकर लाठीचार्ज तक की पूरी कहानी।
प्रदर्शन की शुरुआत:
मंगलवार की सुबह करीब 10.30 बजे, सैकड़ों छात्र उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के कार्यालय के सामने जुटने लगे। छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा था, और थोड़े ही समय में हजारों छात्र वहां इकट्ठा हो गए। छात्र सरकार और आयोग के खिलाफ नारे लगाने लगे, उनका विरोध UPPSC के नये परीक्षा प्रारूप और नॉर्मलाइजेशन प्रणाली के खिलाफ था।
बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़े छात्र:
करीब 11.30 बजे छात्रों और पुलिस के बीच खींचातानी शुरू हो गई। छात्रों ने आयोग के कार्यालय के सामने लगे बैरिकेड्स को तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की। उनकी मांग थी कि एक ही दिन में परीक्षा आयोजित की जाए और नॉर्मलाइजेशन प्रणाली को लागू न किया जाए।
विरोध हुआ उग्र:
दोपहर 12 बजे के आसपास छात्रों का प्रदर्शन और भी उग्र हो गया। बड़ी संख्या में छात्र आयोग के गेट नंबर दो के पास इकट्ठा हो गए। छात्रों ने प्लेकार्ड्स लेकर जोरदार नारेबाजी शुरू की। पुलिस के बार-बार समझाने के बावजूद छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज:
छात्रों का विरोध जब पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर होने लगा और पुलिस की बात मानने को तैयार नहीं थे, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। लाठीचार्ज होते ही छात्रों में भगदड़ मच गई, और कई छात्र वहां से भागने लगे। कई छात्रों को चोटें आईं और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया।
छात्रों की मांगें और उनकी समस्याएँ:
छात्रों का विरोध इस बात को लेकर था कि आयोग ने PCS प्रारंभिक परीक्षा को एक दिन के बजाय दो दिन में आयोजित करने का निर्णय क्यों लिया। साथ ही, आयोग ने आरओ-एआरओ परीक्षा का पैटर्न भी बदल दिया है। पहले आरओ/एआरओ परीक्षा में पेपर वन और पेपर दो अलग-अलग होते थे, लेकिन इस बार दोनों पेपरों को एक में मिला दिया गया है। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा के आवेदन के बाद नियमों में मनमाने बदलाव किए गए हैं, जिससे उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
नॉर्मलाइजेशन प्रणाली का विरोध:
छात्र नॉर्मलाइजेशन प्रणाली का भी विरोध कर रहे हैं। नॉर्मलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न प्रश्नपत्रों की कठिनाई के अनुसार अंकों में संतुलन लाया जाता है। छात्रों का कहना है कि इससे उनके अंकों में भेदभाव हो सकता है और वे इस प्रणाली को परीक्षा के लिए उपयुक्त नहीं मानते।
आयोग के फैसले पर सवाल:
छात्रों का कहना है कि आयोग ने बिना किसी सूचना के परीक्षा के नियमों में बदलाव किया है। छात्रों का मानना है कि इससे परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। उनका आरोप है कि आयोग ने पुराने पैटर्न को अचानक बदलकर एक नया पैटर्न लागू किया, जिससे उन्हें तैयारी करने में परेशानी हो रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि छात्रों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने आयोग के कार्यालय के पास जिस तरह से हिंसक रवैया अपनाया, उससे अन्य लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी। अधिकारियों ने कहा कि छात्रों को शांति बनाए रखनी चाहिए और अपनी मांगों को शांतिपूर्वक तरीके से रखना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन का असर:
छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन का असर अन्य शहरों पर भी पड़ा है। लखनऊ, वाराणसी और कानपुर जैसे शहरों में भी छात्रों ने आयोग के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे आगे भी आंदोलन करेंगे और सरकार को मजबूर करेंगे कि वह छात्रों की समस्याओं का समाधान करें।
प्रयागराज में छात्रों का विरोध प्रदर्शन योगी सरकार और आयोग के सामने एक बड़ी चुनौती बन गया है। छात्रों का कहना है कि वे परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं। वहीं, प्रशासन का कहना है कि स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए लाठीचार्ज किया गया। छात्रों का गुस्सा यह दर्शाता है कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह छात्रों की मांगों पर विचार करे और उचित समाधान प्रदान करे।