Bihar के मोतिहारी जिले में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर काम कर रहे 10 और शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके साथ ही अब तक कुल 24 शिक्षकों पर मामला दर्ज हो चुका है। इस घटना से जिले के अन्य शिक्षकों में खलबली मच गई है। जानकारी के अनुसार, जिले के कल्याणपुर और चकिया थाना क्षेत्रों में कार्यरत 10 फर्जी शिक्षकों की पहचान कर मंगलवार को सतर्कता विभाग ने एफआईआर दर्ज की। इससे पहले, कुछ दिन पहले ही बंजरिया, पिपराकोठी और तुरकौलिया थाना क्षेत्रों में 14 शिक्षकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई थी।
कल्याणपुर थाना में दर्ज एफआईआर
कल्याणपुर थाना में दर्ज एफआईआर में शामिल शिक्षक निम्नलिखित हैं:
- रानू पासवान – यह शिक्षक सरकारी प्राथमिक विद्यालय बिशनपुर में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत थे।
- विभा कुमारी – यह शिक्षक नवसृजित प्राथमिक विद्यालय बांस घाट (पासवान टोला) में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत थीं।
- मनोरेमा कुमारी – यह शिक्षक उच्च माध्यमिक विद्यालय खर्की कुआं में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत थीं।
चकिया थाना में दर्ज एफआईआर
चकिया थाना में जिन शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वे हैं:
- जयप्रकाश कुमार यादव – यह शिक्षक एनपीएस फुलवारिया में कार्यरत थे।
- अजय राम – यह शिक्षक प्राथमिक विद्यालय अहिमान छपरा में कार्यरत थे।
- संतोष कुमार महतो – यह शिक्षक उच्च माध्यमिक विद्यालय अलौला उर्दू में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत थे।
- चंद्र लता कुमारी – यह शिक्षक भी उच्च माध्यमिक विद्यालय अलौला उर्दू में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यरत थीं।
- सुधा कुमारी – यह शिक्षक यूएमएस सिसवा बसंत में कार्यरत थीं।
- संतोष कुमार – यह शिक्षक प्राथमिक विद्यालय बंशी बाबा शंभू चक मठ में कार्यरत थे।
- मुन्ना कुमारी – यह शिक्षक यूएमएस बहुअरा में कार्यरत थीं।
उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही जांच
इन सभी शिक्षकों के फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी करने का मामला सतर्कता विभाग के सामने आया है। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, जिले में फर्जी शैक्षिक योग्यता के आधार पर हो रही नियुक्तियों की गहन जांच चल रही है। इस जांच के तहत, सतर्कता विभाग के डीएसपी राजेश कुमार ने कल्याणपुर में तीन शिक्षकों और चकिया ब्लॉक में कई अन्य शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की, जिसमें उनके शैक्षिक दस्तावेज़ फर्जी पाए गए। इस दौरान चकिया के डीएसपी सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए आवेदन के आधार पर कार्यवाही की जा रही है।
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
जिले में फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस संदर्भ में कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है। इसके साथ ही, इन शिक्षकों को अब तक वेतन के रूप में जो राशि मिली है, उसकी भी वसूली की जा सकती है।
शिक्षकों में फैली दहशत
जिले में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर काम कर रहे शिक्षकों के खिलाफ बढ़ते मामलों से अन्य शिक्षक भी डरे हुए हैं। शिक्षा विभाग और सतर्कता विभाग द्वारा की जा रही जांच के कारण कई शिक्षक आशंकित हैं कि कहीं उनके खिलाफ भी जांच शुरू न हो जाए। सतर्कता विभाग की इस कार्रवाई से यह संदेश जा रहा है कि फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
समाज पर असर
इस तरह के मामले समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। फर्जी शिक्षकों के कारण शिक्षा व्यवस्था की साख पर बट्टा लगता है। ऐसे शिक्षक न केवल छात्रों का भविष्य खतरे में डालते हैं, बल्कि योग्य शिक्षकों के लिए नौकरियों के अवसर भी कम कर देते हैं। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी को भी उजागर करती है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
राज्य सरकार और प्रशासन ने फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई को तेज कर दिया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सतर्कता विभाग ने पूरे राज्य में फर्जी शिक्षकों की पहचान करने के लिए एक विशेष जांच अभियान शुरू किया है। इसके तहत, सभी शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की जांच की जा रही है। सरकार का प्रयास है कि शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए, ताकि योग्य और सच्चे शिक्षकों को ही इस पेशे में स्थान मिले।
सतर्कता विभाग की अपील
सतर्कता विभाग ने आम जनता और शिक्षा विभाग के कर्मचारियों से अपील की है कि वे फर्जी शिक्षकों की जानकारी देने में मदद करें। इसके साथ ही, विभाग ने यह भी कहा है कि जो लोग फर्जी शिक्षकों के बारे में जानकारी देंगे, उनकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।