Delhi: दिल्ली नगर निगम (MCD) ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और रोकने के लिए 539 टीमों का गठन किया है। यह टीमें कचरा और सूखी पत्तियां जलाने पर कार्रवाई करेंगी। इन टीमों में 1,422 कर्मचारियों और अधिकारियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही, मलबा और निर्माण कार्यों से होने वाले प्रदूषण को भी रोका जाएगा। निगम धूल से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए भी कार्य कर रहा है।
तीन शिफ्टों में काम करेंगी निगरानी टीमें
एक वरिष्ठ MCD अधिकारी ने बताया कि निगरानी टीमें तीन शिफ्टों में काम करेंगी। विशेष रूप से कचरा जलाने को रोकने के लिए पार्कों और खाली स्थानों के आसपास सुबह और शाम के समय निगरानी की जाएगी।
कचरा और पेड़ों की सूखी पत्तियां जलाने से रोकने के लिए 312 टीमों का गठन किया गया है, जिनमें 825 कर्मचारियों को तैनात किया गया है। शेष टीमें मलबा और निर्माण से होने वाले प्रदूषण को रोकने और इसकी निगरानी करने का कार्य करेंगी।
अब तक 546 लोगों पर लगाया गया जुर्माना
निगम के एक अधिकारी ने बताया कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, कचरा जलाने की घटनाएं भी बढ़ने लगती हैं। साथ ही लोग सड़क किनारे पड़े मलबे को भी इधर-उधर फेंक देते हैं। इन टीमों का काम कचरा जलाने से रोकना और सड़कों पर इधर-उधर डाला गया मलबा हटाना है। अधिकारी ने कहा कि अब तक कचरा जलाने पर 546 चालान जारी किए जा चुके हैं।
इसके अलावा, मलबा तय जगह पर न फेंकने पर 104 चालान जारी किए गए हैं। भवन विभाग ने मलबा और धूल से प्रदूषण रोकने में लापरवाही बरतने के लिए 4,522 चालान जारी किए हैं। अधिकारी ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के दिशा-निर्देशों के तहत पांच हजार वर्ग मीटर से अधिक के निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन लगाए गए हैं।
निर्माण स्थलों पर नौ एंटी-स्मॉग गन तैनात
यह सुनिश्चित किया गया है कि न केवल एंटी-स्मॉग गन लगाए जाएं, बल्कि वे चालू भी रहें। इसके तहत सिविल लाइंस ज़ोन में एक निर्माण स्थल 30,000 वर्ग मीटर का है, जहां चार एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई हैं। इसी तरह, सिटी एसपी ज़ोन में दो अलग-अलग निर्माण स्थलों पर नौ एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई हैं।
MCD के 12 ज़ोन में पांच हजार वर्ग मीटर से बड़े प्लॉट पर 32 निर्माण स्थल हैं, जहां 69 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन और 26 एंटी-स्मॉग गन तैनात की गई हैं। इसके अलावा, निगम ने अपने तीनों लैंडफिल और ऊंची इमारतों पर 45 एंटी-स्मॉग गन तैनात की हैं।
पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने को रोकने के लिए 26 केंद्रीय टीमें तैनात
सर्दियों के मौसम में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण का एक बड़ा कारण पराली का धुआं है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट जिलों में 26 केंद्रीय टीमों का गठन किया है और उन्हें तैनात किया है।
ये टीमें जिला प्रशासन के संपर्क में रहेंगी, ताकि धान की कटाई के बाद पराली का बेहतर निस्तारण उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से किया जा सके, बिना पराली जलाए। CAQM के अनुसार, पराली को खेत में ही नष्ट करना होगा या उसे किसी अन्य स्थान पर ले जाकर प्रबंधित करना होगा। इसके अलावा, पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम की निगरानी और समन्वय के लिए चंडीगढ़ में एक ‘पैडी स्ट्रॉ मैनेजमेंट सेल’ का गठन किया जाएगा।
पराली जलाने की 454 घटनाएं सामने आईं
CAQM ने बताया कि 15 सितंबर से 9 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 454 घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से 267 घटनाएं पंजाब में और 187 घटनाएं हरियाणा में हुई हैं।
CAQM ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के सभी जिला अधिकारियों को पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम 2021 की धारा 14 (2) के तहत कार्रवाई की जाएगी।