Ganesh Utsav: दिल्ली में गणेश उत्सव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। राजधानी के कई इलाकों में गणेश पंडालों की सजावट शुरू हो चुकी है, जहां भगवान गणेश की भव्य मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का आगाज़ 7 सितंबर से होगा और इसका समापन 17 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ किया जाएगा। पूरे शहर में लोग गणपति बप्पा की भव्य पूजा-अर्चना के लिए तैयारी कर रहे हैं, जिससे दिल्ली गणेश उत्सव के रंग में रंगी नज़र आ रही है।
बुराड़ी में सबसे बड़ा आयोजन
इस वर्ष दिल्ली में गणेश उत्सव का सबसे बड़ा आयोजन बुराड़ी मैदान में होगा, जहां मुंबई के गणेश उत्सव की तरह विशाल भीड़ जुटने की संभावना है। बुराड़ी में स्थित ‘लाल बाग का राजा ट्रस्ट’ के प्रमुख राकेश बिंदल ने बताया कि यह आयोजन दिल्ली के सबसे बड़े गणेश महोत्सवों में से एक है और हर साल यहां भारी संख्या में भक्त गणेश जी की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।
दिल्ली के अन्य प्रमुख स्थान
दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में भी गणेश उत्सव की भव्य तैयारियां चल रही हैं। कीर्ति नगर, द्वारका, उत्तम नगर, पश्चिम विहार, रोहिणी, लक्ष्मी नगर और गीता कॉलोनी जैसे इलाकों में भी गणेश उत्सव को धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं। पंडालों को सजा-संवारा जा रहा है और मूर्तियों की स्थापना के लिए तैयारी अंतिम चरण में है।
गणेश उत्सव का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गणेश उत्सव केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि इसका गहरा सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह उत्सव पूरे भारत में गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता’ के रूप में पूजा जाता है। भक्तगण इस उत्सव के माध्यम से भगवान गणेश का स्वागत बड़े आदर और श्रद्धा के साथ करते हैं और उनसे अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
गणेश उत्सव का इतिहास
गणेश उत्सव की शुरुआत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी, जब बाल गंगाधर तिलक ने इसे एक बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में स्थापित किया था। यह त्योहार तब से ही पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में।
घरों में भी गणेश उत्सव की धूम
इस साल न केवल पंडालों में बल्कि घरों में भी गणेश उत्सव की खूब धूम देखने को मिलेगी। भक्तगण अपने-अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना कर उन्हें पूजा-अर्चना करेंगे। घरों में गणपति बप्पा की स्थापना के लिए विशेष तैयारी की जा रही है। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं और परिवार के साथ गणेश जी की पूजा करते हैं।
मूर्ति स्थापना के नियम और प्रक्रिया
गणेश उत्सव के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना का एक खास महत्व है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य प्रमोद शास्त्री के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति की स्थापना के लिए सबसे पहले एक पवित्र और स्वच्छ स्थान का चयन करना चाहिए। यह स्थान घर के पूजा कक्ष में हो सकता है या फिर पंडाल में। मूर्ति की स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ-सुथरा करना और सजाना चाहिए। मूर्ति को एक स्वच्छ और पवित्र आसन पर स्थापित किया जाना चाहिए।
मूर्ति की स्थापना करते समय उसे ऊंचे स्थान पर रखा जाना चाहिए ताकि सभी भक्त उसे आसानी से देख सकें। इसके अलावा, मूर्ति को दक्षिण दिशा को छोड़कर किसी भी दिशा में स्थापित किया जा सकता है। मूर्ति की पूजा के लिए फूल, फल, दीपक, अगरबत्ती और अन्य पूजा सामग्री पहले से तैयार रखनी चाहिए। गणेश जी की मूर्ति पर लाल, पीले या नारंगी रंग के वस्त्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। मूर्ति का अभिषेक दूध, दही, शहद और गंगाजल से करना चाहिए।
मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश उत्सव के दौरान मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। मंदिर श्रीराम हनुमान वाटिका के आचार्य प्रमोद शास्त्री के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना का शुभ समय सुबह 11:03 बजे से लेकर दोपहर 01:37 बजे तक का रहेगा। वहीं, शाम 4:15 बजे से लेकर शाम 7:15 बजे तक गणेश जी को दूर्वा घास, मोदक लड्डू, गुड़ आदि अर्पित करना भी बेहद शुभ माना गया है।
गणेश विसर्जन और समापन
गणेश उत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है। विसर्जन का अर्थ है गणेश जी की मूर्ति को जल में प्रवाहित करना। यह प्रक्रिया प्रतीकात्मक रूप से भगवान गणेश के स्वर्गलोक में वापस जाने का संकेत देती है। विसर्जन के समय भक्तगण गणेश जी से अगले वर्ष फिर से आने की प्रार्थना करते हैं।
गणेश उत्सव की समाप्ति पर यह वादा किया जाता है कि अगले साल फिर से गणपति बप्पा का स्वागत करेंगे। विसर्जन के दौरान भक्तगण ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के नारे लगाते हैं और गणेश जी को भावपूर्ण विदाई देते हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली में गणेश उत्सव का जश्न एक बड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन के रूप में देखा जा रहा है। इस उत्सव के दौरान न केवल भक्तगण भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लोग मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं। पंडालों में भव्य मूर्तियों की स्थापना, धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन और सामूहिक भक्ति से पूरे माहौल में एक विशेष ऊर्जा का संचार होता है।
गणेश उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता, भाईचारे और सद्भावना का भी प्रतीक है। इस बार दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में गणेश उत्सव की धूम मचेगी और भक्तगण पूरे हर्षोल्लास के साथ गणपति बप्पा का स्वागत करेंगे।