Game Addiction: आजकल चाहे बच्चे हों या बड़े, हर कोई मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन के सामने दिन बिताता है। वयस्क लोग अपने आदतों को फिर भी नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन बच्चे अक्सर अपनी स्क्रीन टाइम को सीमित नहीं कर पाते और इसके कारण वे गेमिंग एडिक्शन के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में कुछ आसान उपायों की मदद से उन्हें इस आदत से बचाया जा सकता है।
आज के डिजिटल युग में, हर कोई अपना ज्यादातर समय तकनीक और गैजेट्स के बीच बिताता है। चाहे बच्चे हों या बड़े, हर किसी के पास कोई न कोई डिजिटल डिवाइस होता है। हालांकि, इन उपकरणों के साथ हमेशा रहने से कई समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। खासकर आजकल के बच्चे मोबाइल और गेम्स के आदी हो गए हैं। अपने काम में व्यस्त माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को मनोरंजन के लिए मोबाइल या कोई गेम दे देते हैं, जिससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। गेमिंग एडिक्शन इन्हीं समस्याओं में से एक है।
Game Addiction क्यों होता है?
गेम बच्चों को नए-नए टास्क और चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उनकी मनोवृत्ति बार-बार अपने कौशल को साबित करने के लिए अगले स्तर पर जाने की होती है, जब तक कि वे विजेता घोषित नहीं हो जाते। इस प्रक्रिया से मिलने वाली खुशी के कारण ये साधारण से दिखने वाले Game Addiction का रूप ले लेते हैं। बच्चे आसान और बोरिंग गेम्स नहीं खेलना चाहते, बल्कि वे ऐसे गेम्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो उन्हें चुनौतियों को स्वीकार करके कुछ हासिल करने का अवसर देते हैं, जिससे आसानी से एडिक्शन हो जाता है।
वे वर्चुअल अचीवमेंट्स जो उन्हें थोड़े समय के लिए मिलती हैं, उन्हें मिशन का हिस्सा महसूस कराती हैं, जिसे वे उत्साह से खेलते रहते हैं और यह एडिक्शन में बदल जाता है।
Game Addiction का प्रभाव
जब बच्चों को गेम खेलने से रोका जाता है, तो उन्हें असली दुनिया बहुत सामान्य और बोरिंग लगने लगती है और कोई भी काम उतना दिलचस्प नहीं लगता जितना कि उनका गेम, जिसके कारण वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। फिर जब उन्हें दोबारा गेम खेलने को मिलता है, तो वे सामान्य हो जाते हैं और एक ऐसे हीरो की तरह महसूस करते हैं जो दुनिया को बचाने के लिए निकला है। इसके बाद जितना अधिक वे गेम खेलते हैं, उतना ही मुश्किल होता है इस एडिक्शन से बाहर निकलना।
बच्चों को Game Addiction से कैसे बचाएं?
- नकली या कृत्रिम चुनौतियों का सामना करने की बजाय, बच्चों को असली जीवन में हीरो बनने के लिए प्रेरित करें। उन्हें असली जीवन में ऐसे चैलेंज दें जिसमें वे खुद को व्यस्त रख सकें और गेमिंग की तरह ही अचीवमेंट का वास्तविक अनुभव प्राप्त कर सकें। इससे उनकी पर्सनैलिटी में सुधार होगा, वे असली जीवन की चुनौतियों को समझेंगे और उन्हें संभालना सीखेंगे।
- जिस ऐप पर बच्चा गेम खेलता है, उसे ओटीपी या पासवर्ड के जरिए नियंत्रित करें, ताकि बच्चा उसे आसानी से न खोल सके।
- गेम खेलने की अधिकतम सीमा एक से दो घंटे तय करें और इसमें किसी भी तरह का परिवर्तन न सहने का सख्त नियम बनाएं।
- गेम्स की उम्र सीमा को समझकर ही उन्हें डाउनलोड करने की अनुमति दें।
- बच्चे को नग्नता, खूनखराबा, हिंसा और आक्रामकता से भरपूर गेम्स खेलने न दें।
- बच्चे को आउटडोर गेम्स, धूप में खेलने और व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें, ताकि वह स्वस्थ और तंदुरुस्त बने और इतना व्यस्त रहे कि उसे गेम्स खेलने का समय न मिले।