Weight Loss Medicines: क्या आप बच्चों को मोटापा कम करने के लिए दवाइयाँ दे रहे हैं? जानें ये कितनी हैं सुरक्षित और कितनी असुरक्षित
Weight Loss Medicines: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 1990 से अब तक बच्चों और किशोरों में मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ गई है। इसके कारण कई गंभीर बीमारियाँ बढ़ सकती हैं। मोटापा कम करने वाली एक दवा को बच्चों के लिए सुरक्षित माना गया है, लेकिन क्या वाकई ये दवाइयाँ सुरक्षित हैं?
आजकल, मोटापे की समस्या केवल बड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है। बच्चों का मोटापा उनकी सेहत पर बुरा असर डालता है, जिससे वे कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में कई माता-पिता अपने बच्चों का वजन कम करने के लिए दवाइयों का सहारा लेते हैं। लेकिन, इसके साथ ही उन्हें इस बात की भी चिंता होती है कि ये दवाइयाँ बच्चों के लिए कितनी सुरक्षित हैं?
एक नई स्टडी ने माता-पिता की इस चिंता का कुछ हद तक समाधान किया है। इस अध्ययन के अनुसार, एक वजन घटाने वाली दवा 12 साल से कम उम्र के मोटापे से ग्रस्त बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित मानी गई है। पिछले कुछ सालों में, वजन घटाने के लिए GLP-1 एगोनिस्ट दवाइयाँ दुनियाभर में बहुत लोकप्रिय हुई हैं। इस कारण, कई बार इन दवाओं का स्टॉक खत्म हो जाता है, और बावजूद इसके कि ये दवाइयाँ महंगी होती हैं, लोग इन्हें खरीद रहे हैं। लेकिन बच्चों पर इन नई दवाइयों के प्रभाव पर बहुत कम रिसर्च की गई है।
मोटापा कम करने वाली दवाइयाँ कितनी सुरक्षित हैं?
WHO के अनुसार, 1990 से अब तक बच्चों और किशोरों में मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ी है। हालांकि, बच्चों में मोटापे के इलाज के लिए कोई निश्चित दवा निर्धारित नहीं है। इस अध्ययन में एक पुरानी GLP-1 एगोनिस्ट दवा लिराग्लूटाइड पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसे डेनिश फार्मास्युटिकल कंपनी नोवो नॉर्डिस्क द्वारा Saxenda ब्रांड नाम से बेचा जाता है। यह वही कंपनी है जो प्रसिद्ध सेमाग्लूटाइड दवाइयाँ जैसे Ozempic और Wegovy भी बनाती है, जो वजन घटाने के लिए काफी प्रचलित हैं।
अध्ययन क्या कहता है?
अमेरिका में नोवो नॉर्डिस्क द्वारा वित्तपोषित एक फेज-3 परीक्षण में पहली बार 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर लिराग्लूटाइड के प्रभाव की जाँच की गई। इस परीक्षण में 82 मोटापे से ग्रस्त बच्चों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 6 से 12 साल थी। इनमें से कुछ बच्चों को लिराग्लूटाइड की दैनिक इंजेक्शन दी गई, जबकि अन्य को प्लेसीबो (नकली दवा) दी गई। बच्चों को स्वस्थ खानपान और व्यायाम करने के लिए भी प्रेरित किया गया।
अध्ययन के अनुसार, लगभग एक साल के बाद, दवा लेने वाले बच्चों में से 46% बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में 5% से अधिक की कमी देखी गई। जबकि प्लेसीबो समूह के केवल 9% बच्चों में BMI में ऐसी कमी देखी गई। इस अध्ययन में यह भी ध्यान रखा गया कि बच्चे इस उम्र में तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए BMI के साथ उनकी लंबाई का भी ध्यान रखा गया। हालांकि, दवा लेने वाले कुछ बच्चों में उल्टी और मितली जैसे दुष्प्रभाव भी देखे गए, जो वयस्कों में भी समान होते हैं।
मोटापे के प्रति सचेत करने वाली जानकारियाँ
मिनेसोटा यूनिवर्सिटी की वरिष्ठ लेखक क्लाउडिया फॉक्स ने कहा कि मोटापे से ग्रस्त बच्चों को आमतौर पर खानपान और व्यायाम पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है। लेकिन इस नए अध्ययन ने यह उम्मीद जगाई है कि यह दवा बच्चों को स्वस्थ और बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। हालांकि, वजन घटाने वाले इंजेक्शनों को लेकर एक चेतावनी भी जारी की गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे से ग्रस्त बच्चों के लिए केवल खानपान और व्यायाम ही काफी नहीं है। कई बार उनके शरीर में ऐसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए दवाइयों की आवश्यकता होती है। लिराग्लूटाइड जैसी दवाएँ मोटापे से लड़ने में मददगार साबित हो सकती हैं, लेकिन इसके साथ-साथ इसके दुष्प्रभावों का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
बच्चों में मोटापे के खतरे
मोटापा न केवल बच्चों की शारीरिक सेहत पर असर डालता है, बल्कि उनकी मानसिक सेहत पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। मोटापे से ग्रस्त बच्चे अन्य बच्चों से अलग महसूस कर सकते हैं और उनका आत्मविश्वास भी कम हो सकता है। इसके अलावा, मोटापा डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
मोटापे से बचने के उपाय
हालांकि, मोटापे को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं, लेकिन बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उनके खानपान और जीवनशैली पर ध्यान देना। बच्चों को संतुलित आहार देना, उन्हें शारीरिक गतिविधियों में संलग्न करना, और उनकी स्क्रीन टाइम को सीमित करना मोटापे से बचने के महत्वपूर्ण उपाय हैं।
इसके साथ ही, माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ आदतें अपनाएँ। बच्चों को छोटे उम्र से ही फिटनेस और स्वस्थ खानपान की आदतें सिखाई जाएँ, ताकि वे भविष्य में मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों से बच सकें।
निष्कर्ष
मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है और बच्चों में इसका असर विशेष रूप से चिंताजनक है। मोटापे से लड़ने के लिए दवाइयों का सहारा लेना एक विकल्प हो सकता है, लेकिन इसके साथ-साथ बच्चों की जीवनशैली और खानपान पर भी ध्यान देना आवश्यक है। नई शोध से यह स्पष्ट होता है कि कुछ दवाएँ बच्चों के लिए सुरक्षित हो सकती हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।