Ratan Tata: देश के प्रमुख उद्योगपति और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। टाटा समूह ने स्वयं इस दुखद समाचार की पुष्टि की। रतन टाटा के निधन से न केवल उद्योग जगत में, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
अरविंद केजरीवाल का शोक संदेश
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “भारत ने अपना सच्चा ‘रत्न’ खो दिया है, जिन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया। रतन टाटा की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बनी रहेगी।”
दिल्ली की सीएम आतिशी का भावुक संदेश
इससे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बुधवार को अपने शोक संदेश में कहा था, “रतन टाटा जी के निधन की खबर सुनकर मैं गहरे सदमे में हूं। उन्होंने नैतिक नेतृत्व का एक अनूठा उदाहरण पेश किया। उन्होंने हमेशा देश और उसके लोगों के कल्याण को सर्वोपरि रखा। उनकी दया, विनम्रता और बदलाव लाने का जुनून हमेशा याद रखा जाएगा। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रियजनों के साथ हैं। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।”
रतन टाटा का जीवन परिचय
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सूरत शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा और माता का नाम सूनि कमीसारियात था। जब रतन टाटा मात्र 10 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद, उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने जे. एन. पेटिट पारसी अनाथालय के माध्यम से औपचारिक रूप से गोद लिया। रतन टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ हुआ, जो नवल टाटा और सिमोन टाटा के पुत्र हैं।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
रतन टाटा ने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से पूरी की, जहां उन्होंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई और बिशप कॉटन स्कूल, शिमला में अपनी आगे की पढ़ाई की। उच्च शिक्षा के लिए वे न्यूयॉर्क सिटी के रिवरडेल कंट्री स्कूल में गए। रतन टाटा ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
व्यावसायिक यात्रा और टाटा समूह में योगदान
रतन टाटा ने 1962 में टाटा समूह के साथ अपना करियर शुरू किया। प्रारंभ में, उन्होंने कंपनी के शॉप फ्लोर पर कार्य किया और धीरे-धीरे कंपनी की विभिन्न इकाइयों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला। 1991 में, रतन टाटा ने जे.आर.डी. टाटा के बाद टाटा समूह के चेयरमैन का पद संभाला और टाटा समूह को एक वैश्विक पहचान दिलाई।
उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिसमें टेटली टी, जैगुआर लैंड रोवर, और कोरस स्टील शामिल हैं। इसके अलावा, रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा मोटर्स ने नैनो कार का निर्माण किया, जिसे विश्व की सबसे सस्ती कार के रूप में पेश किया गया।
नैतिक नेतृत्व और समाजसेवा
रतन टाटा केवल एक उद्योगपति ही नहीं, बल्कि वे नैतिक नेतृत्व के प्रतीक भी थे। उन्होंने हमेशा अपने व्यापारिक फैसलों में नैतिकता को प्राथमिकता दी। रतन टाटा ने समाज की भलाई के लिए कई अहम कदम उठाए। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में टाटा ट्रस्ट के माध्यम से अनेकों परियोजनाओं को समर्थन दिया।
रतन टाटा की उदारता और परोपकार की भावना का उदाहरण 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के दौरान देखने को मिला, जब उन्होंने ताज होटल के पुनर्निर्माण के साथ-साथ प्रभावित परिवारों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके इन कार्यों ने उन्हें समाज में एक अद्वितीय स्थान दिलाया।
सम्मान और पुरस्कार
रतन टाटा को भारत सरकार द्वारा उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें देश और विदेश में कई अन्य सम्मान भी प्राप्त हुए हैं, जो उनकी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता और परोपकार के लिए दिए गए हैं।
रतन टाटा की विरासत
रतन टाटा की विरासत केवल टाटा समूह तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ गए हैं। उन्होंने भारतीय उद्योग में जो योगदान दिया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहेगा। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने जो ऊंचाइयां छुईं, वह भारतीय उद्योग जगत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएंगी।