Uttar Pradesh: सीएम योगी का बड़ा एक्शन, 16 अधिकारी निलंबित, विभाग में हड़कंप
Uttar Pradesh में सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई करते हुए 16 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। करोड़ों की लागत से बन रही सड़कों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल और गुणवत्ता में लापरवाही का मामला सामने आने के बाद यह कार्रवाई हुई। विभागीय अधिकारियों के इस भ्रष्टाचार के खुलासे ने पूरे जिले और लोक निर्माण विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
सड़क निर्माण में गड़बड़ी का खुलासा
यह मामला 9 नवंबर को प्रधान सचिव अजय चौहान के निरीक्षण के दौरान उजागर हुआ। उन्होंने विभिन्न सड़क निर्माण परियोजनाओं के सैंपल लिए, जिनमें से सभी फेल हो गए। जांच के दौरान पाया गया कि सड़कों की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं थी। सड़क निर्माण में इस्तेमाल किए गए बिटुमेन की परत कमजोर पाई गई और पत्थरों का सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया था।
निरीक्षण के बाद 97 परियोजनाओं, जिनकी लागत करीब 926.57 करोड़ रुपये थी, पर भी सवाल उठने लगे। वहीं, 155 ग्रामीण सड़कों और अन्य जिलों की सड़कों की विशेष मरम्मत और नवीनीकरण के लिए स्वीकृत 26.46 करोड़ रुपये की धनराशि में भी हेरफेर के मामले सामने आए।
लोकल अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
प्रधान सचिव के निरीक्षण में खामियां उजागर होने के बावजूद स्थानीय अधिकारियों ने चुप्पी साधे रखी। 18 नवंबर को जब उनसे इस मामले पर बातचीत की कोशिश की गई तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन 23 नवंबर को सरकार ने कार्रवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग के 16 अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
इस कार्रवाई के बाद विभागीय अधिकारी और ठेकेदारों में खलबली मच गई है। सड़कों की गुणवत्ता में कमी और भ्रष्टाचार के इन मामलों ने शासन की सख्त नीतियों को फिर से उजागर किया है।
प्रमुख परियोजनाओं में मिली खामियां
निरीक्षण में जिन परियोजनाओं में गड़बड़ी पाई गई, उनमें शामिल हैं:
- मज्हिया-खतेली रोड
- रड्डेपुरवा-सकटपुर रोड
- बेहटा गोकुल-मनसूर नगर रोड
- हरदोई-संडी रोड
इन सभी सड़कों के सैंपल जांच में फेल हो गए। यह भी पाया गया कि सड़कों की मरम्मत का काम भी संतोषजनक नहीं था।
जिला प्रशासन की सख्ती
जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि सरकार के निर्देशों के अनुसार निर्माण कार्यों में गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करना प्राथमिकता है। जो भी अधिकारी इन मानकों से समझौता करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रधान सचिव की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है।
16 अधिकारियों पर कार्रवाई: कौन-कौन हैं शामिल?
निलंबित अधिकारियों में लोक निर्माण विभाग के कई वरिष्ठ इंजीनियर शामिल हैं। ये अधिकारी लंबे समय से सड़क निर्माण परियोजनाओं में जुड़े थे और इनकी जिम्मेदारी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की थी। लेकिन जांच में इनकी लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हुआ।
सीएम योगी का सख्त रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार को किसी भी हालत में सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर भविष्य में भी ऐसी गड़बड़ी पाई गई तो और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति
सीएम योगी की सरकार ने पहले भी निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि सरकार भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
ठेकेदारों पर भी कार्रवाई संभव
ऐसा माना जा रहा है कि सड़कों में घटिया सामग्री के इस्तेमाल के लिए केवल अधिकारी ही नहीं, बल्कि ठेकेदार भी जिम्मेदार हैं। जांच में ठेकेदारों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है और उनके खिलाफ भी जल्द कार्रवाई हो सकती है।
लोक निर्माण विभाग में मची खलबली
सरकार की इस सख्त कार्रवाई के बाद लोक निर्माण विभाग में खलबली मची हुई है। अधिकारी और कर्मचारी भविष्य में किसी भी गड़बड़ी से बचने के लिए सतर्क हो गए हैं।
जनता को मिलेगी राहत
इस कार्रवाई से प्रदेश की जनता को यह विश्वास हुआ है कि सरकार उनके हितों के लिए गंभीर है। सड़क निर्माण में गड़बड़ी की वजह से अक्सर सड़कें जल्दी खराब हो जाती थीं, जिससे लोगों को असुविधा होती थी। अब सरकार की सख्ती से इन समस्याओं में कमी आने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण में गड़बड़ी के इस मामले ने शासन की सतर्कता और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख को साबित किया है। 16 अधिकारियों के निलंबन से एक स्पष्ट संदेश गया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सरकार की इस कार्रवाई से न केवल लोक निर्माण विभाग में अनुशासन बढ़ेगा, बल्कि जनता को बेहतर और टिकाऊ सड़कों की सौगात भी मिलेगी। यह कदम प्रदेश में पारदर्शी और गुणवत्ता युक्त निर्माण कार्यों की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।