UP by-election: मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान हिंसा के मामले में पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है। इस मामले में 28 नामजद और 120 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें 4 महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस अब इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर बाकी आरोपियों की पहचान कर रही है।
पुलिस पर समाजवादी पार्टी के गंभीर आरोप
समाजवादी पार्टी (सपा) ने पुलिस अधिकारियों पर मतदाताओं को मतदान से रोकने और धमकाने का आरोप लगाया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव जीतने के लिए धोखाधड़ी का सहारा ले रही है और मतों के माध्यम से जीत हासिल नहीं करना चाहती।
पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
मीरापुर हिंसा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सपा ने काकरौली थाने के प्रभारी राजीव शर्मा पर मतदाताओं को रोकने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया। पार्टी ने राजीव शर्मा की गिरफ्तारी और उनकी सेवा समाप्त करने की मांग की है। इसके अलावा, अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की भी मांग की गई है।
काकरौली हिंसा पर पुलिस का सख्त रुख
मतदान के दिन काकरौली गांव में हुए हंगामे को लेकर पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में 15 धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है, जिनमें आपराधिक कानून अधिनियम की 7 धाराएं भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि वायरल हो रहे वीडियो अधूरे हैं और पूरे मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच की जा रही है।
महिलाओं के समर्थन में उतरी समाजवादी पार्टी
वायरल वीडियो में दिख रही महिलाओं ने पुलिस पर मतदान से रोकने का आरोप लगाया है। समाजवादी पार्टी ने इन महिलाओं का समर्थन करते हुए उन्हें सम्मानित करने की घोषणा की है। वहीं, पुलिस का कहना है कि युवाओं द्वारा पथराव रोकने के लिए एक अधिकारी ने पिस्तौल निकाली थी।
पथराव के वीडियो भी आए सामने
काकरौली हिंसा मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अखिलेश यादव पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि अन्य वीडियो में लोग पुलिस पर पथराव करते हुए देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि सपा नेताओं द्वारा पुलिस प्रशासन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं क्योंकि इस बार पार्टी चुनाव हार रही है।
समाज में तनावपूर्ण माहौल
हिंसा के दिन काकरौली गांव में भारी तनाव देखा गया। महिलाओं का वीडियो साझा करने के बाद अखिलेश यादव और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। पुलिस ने भी गांव में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है।
राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना ने राजनीतिक दलों के बीच गहमागहमी बढ़ा दी है। भाजपा और सपा दोनों एक-दूसरे पर हिंसा का दोष मढ़ रहे हैं। भाजपा ने सपा पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया, जबकि सपा ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया।
पुलिस की जांच और निष्पक्षता का सवाल
पुलिस ने वायरल वीडियो और अन्य साक्ष्यों के आधार पर जांच शुरू कर दी है। हालांकि, राजनीतिक दलों की बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप के चलते पुलिस की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं। मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए गहन और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
मीरापुर उपचुनाव में हुई हिंसा ने प्रशासन, राजनीतिक दलों और स्थानीय लोगों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जबकि राजनीतिक दल इसे चुनावी माहौल खराब करने की साजिश बता रहे हैं। इस विवाद का समाधान केवल मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई से संभव है। इस घटना ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और कानून-व्यवस्था की गंभीरता की ओर ध्यान आकर्षित किया है।