UP by-election 2024: उत्तर प्रदेश में आज बुधवार को नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। यह उपचुनाव भाजपा और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच सीधी टक्कर का है, और इसे 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। दोनों प्रमुख दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, क्योंकि यह चुनाव उनकी प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है।
योगी बनाम अखिलेश
इस उपचुनाव में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच मुकाबला है। भाजपा के पक्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रसिद्ध नारा “बंटेंगे तो कटेंगे” गूंज रहा है, वहीं अखिलेश यादव अपने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के जरिए चुनावी मैदान में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कौन-कौन से उम्मीदवार मैदान में?
कुल मिलाकर इन नौ विधानसभा सीटों के लिए 90 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, मुख्य मुकाबला त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है, जिसमें बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी उम्मीदवार उतार रही है, लेकिन असली टक्कर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच ही मानी जा रही है।
2022 के चुनाव परिणामों की तस्वीर
यदि हम 2022 के विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखें, तो इन सीटों पर समाजवादी पार्टी के पास 4 सीटें थीं, जबकि NDA (भा.ज.पा. और उसके सहयोगी दलों) के पास 5 सीटें थीं। भाजपा ने इनमें से 3 सीटें जीती थीं और 2 सीटें उनके सहयोगियों के खाते में गई थीं।
किस पार्टी ने किसे टिकट दिया?
जहां तक टिकट वितरण की बात है, भाजपा ने ओबीसी समुदाय को प्राथमिकता दी है। भाजपा ने इस चुनाव में 5 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि 1 दलित और 3 ऊंची जाति के उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है। भाजपा ने मुस्लिम समुदाय के किसी भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।
वहीं, समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम समुदाय को प्राथमिकता दी है और उसने 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अतिरिक्त, समाजवादी पार्टी ने 3 ओबीसी और 2 दलित उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है, जबकि उसने ऊंची जाति के उम्मीदवारों को टिकट नहीं दिया है।
चुनाव की विशेषता
यह उपचुनाव सिर्फ इन नौ सीटों के लिए नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने वाला भी माना जा रहा है। यह उपचुनाव केवल भाजपा के लिए ही नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी के लिए भी अस्तित्व का सवाल बन गया है। इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार की नीतियों और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव बेरोजगारी, महंगाई और किसान मुद्दों को लेकर जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
चुनाव में उभरते मुद्दे
चुनाव में वोटरों के बीच महंगाई, बेरोजगारी और स्थानीय विकास से जुड़े मुद्दे प्रमुख रूप से चर्चा में हैं। इसके साथ ही टिकट वितरण को लेकर मुस्लिम और ओबीसी समुदाय के बीच भी गर्मा-गर्मी देखने को मिल रही है। भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों ही इन मुद्दों को लेकर अपनी रणनीतियां तैयार कर रहे हैं और जनता से समर्थन प्राप्त करने के लिए अपने-अपने तरीके से प्रचार कर रहे हैं।
रिजल्ट किसके पक्ष में होगा?
यह उपचुनाव यह तय करेगा कि जनता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों पर विश्वास करती है या अखिलेश यादव के नए PDA फॉर्मूले को अपनाती है। इस उपचुनाव के परिणाम सिर्फ इन नौ सीटों के भविष्य का फैसला नहीं करेंगे, बल्कि ये 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
चुनाव परिणाम यह भी दिखाएंगे कि इन सीटों पर किसका दबदबा बना है और जनता ने किसे अपनी प्राथमिकताएं दी हैं। इस उपचुनाव से मिलने वाले संदेश आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश की जनता 9 सीटों पर किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और कौन इन सीटों पर विजय हासिल करता है। इस चुनावी मुकाबले में जो भी पार्टी जीत हासिल करेगी, वह न केवल इन सीटों का नियंत्रण प्राप्त करेगी, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़ा संदेश भी देगी।