Tej Pratap Yadav: राजनीति के क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव अक्सर चर्चा में रहते हैं, लेकिन उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी कभी-कभी चर्चा का विषय बनते हैं। हाल ही में, तेज प्रताप यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव और परिवार के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। इस आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आमंत्रित किया गया।
श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन
तेज प्रताप यादव ने अपने घर पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य उनके पिता लालू यादव की सेहत, उनके भाई तेजस्वी यादव और बिहार की जनता की भलाई था। तेज प्रताप यादव ने बताया कि उन्होंने इस कथा का आयोजन चौथी बार किया है और इस बार भी उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निमंत्रित किया है। तेज प्रताप ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कथा में आना चाहते हैं तो वे आ सकते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निमंत्रण
तेज प्रताप यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कथा में आमंत्रित करने के अलावा यह भी कहा कि कथा में आने की इच्छा व्यक्त करने पर मुख्यमंत्री को स्वागत किया जाएगा। यह पहल तेज प्रताप यादव की धार्मिक आस्था और उनके परिवार की परंपराओं को दर्शाती है।
तेज प्रताप यादव की धार्मिक आस्था
राजनीति के अलावा, तेज प्रताप यादव अपनी धार्मिक आस्था के लिए भी जाने जाते हैं। हाल ही में, एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तेज प्रताप शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हुए दिखाई दिए थे। इस वीडियो में, तेज प्रताप यादव शिवलिंग के चारों ओर लिपटे हुए और पूजा में लीन दिखाई दे रहे थे। इसके पहले भी, वे कई बार भगवान कृष्ण और महादेव के वेश में देखे जा चुके हैं। उनकी ये धार्मिक गतिविधियाँ उनके आस्था और श्रद्धा को दर्शाती हैं।
लालू यादव की हाल की स्थिति
लालू प्रसाद यादव हाल ही में सिंगापुर से नियमित स्वास्थ्य जांच के बाद पटना लौटे हैं। पटना लौटने के तुरंत बाद, लालू यादव ने एक विवादित बयान दिया, जिसने राजनीति में हलचल मचा दी। लालू यादव ने कहा कि “हम RSS/BJP के लोगों के कान पकड़कर उन्हें बैठा देंगे और जाति गणना करवाएंगे। इनकी औकात क्या है कि जाति गणना नहीं करवाएंगे? हम उन्हें इतना मजबूर करेंगे कि उन्हें जाति गणना करवानी पड़ेगी।” इस बयान ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।
तेज प्रताप का ध्यान राजनीति से इतर
तेज प्रताप यादव का यह आयोजन और उनकी धार्मिक गतिविधियाँ राजनीति के अलावा भी उनके व्यक्तित्व की एक महत्वपूर्ण झलक पेश करती हैं। वे केवल राजनीतिक मोर्चे पर ही सक्रिय नहीं हैं, बल्कि धार्मिक आस्थाओं को भी गहराई से मानते हैं। उनके द्वारा आयोजित की गई श्रीमद्भागवत कथा इस बात को प्रमाणित करती है कि वे परिवार और समाज की भलाई के लिए किस हद तक समर्पित हैं।
निष्कर्ष
तेज प्रताप यादव की यह पहल न केवल उनके परिवार की धार्मिक परंपराओं को निभाती है, बल्कि राजनीति और समाज के बीच एक संतुलन बनाए रखने की उनकी कोशिशों को भी दर्शाती है। इस कथा के माध्यम से, वे अपने पिता के स्वास्थ्य और बिहार की जनता की भलाई की कामना कर रहे हैं। साथ ही, उनके धार्मिक उत्साह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित करने की पहल से यह स्पष्ट होता है कि वे राजनीति के साथ-साथ धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी निभाते हैं।
लालू यादव का विवादित बयान और तेज प्रताप की धार्मिक गतिविधियाँ यह दिखाती हैं कि बिहार की राजनीति में व्यक्तिगत आस्थाओं और सामाजिक मुद्दों का मिश्रण किस तरह से होता है। यह आयोजन और विवाद दर्शाते हैं कि बिहार की राजनीति केवल सत्ता और विपक्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्तिगत विश्वास और सामाजिक मुद्दे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।