Tamil Nadu के उपमुख्यमंत्री Udhayanidhi Stalin ने एक बार फिर हिंदी भाषा के खिलाफ अपने तीखे बयान दिए हैं। उन्होंने शनिवार को कहा कि यदि राज्य अपनी भाषाओं की रक्षा करने में विफल रहता है, तो हिंदी उनकी जगह ले लेगी, जिससे राज्य की भाषाई पहचान मिट जाएगी। इसी कारण से तमिलनाडु हिंदी के थोपने के खिलाफ है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें हिंदी भाषा के प्रति कोई दुश्मनी नहीं है।
Udhayanidhi का यह बयान उस समय आया है जब उन्होंने केरल के कोझीकोड में मनोरमा डेली समूह के कला और साहित्य महोत्सव में भाषाई और साहित्यिक परंपराओं पर बात की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीतिक आंदोलन ने लंबे समय से साहित्य और भाषा को अपने स्तंभ के रूप में रखा है। साहित्य, भाषा और राजनीतिक विचारों का यह मेल एक शक्तिशाली पहचान का निर्माण करता है, जिसने तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से आकार दिया है।
द्रविड़ आंदोलन की भूमिका
Udhayanidhi ने द्रविड़ आंदोलन के संदर्भ में कहा कि यह आंदोलन अपनी मजबूत भाषाई और सांस्कृतिक गर्व के लिए जाना जाता है। द्रविड़ नेताओं ने तमिल साहित्य का सहारा लेकर राष्ट्रीयता और वैज्ञानिक सोच का प्रचार किया। CN अन्नादुराई और M करुणानिधि जैसे नेताओं ने तमिल साहित्य को आम लोगों में लोकप्रिय बनाया।
उन्होंने कहा, “द्रविड़ आंदोलन ने तमिल को अपनी पहचान का केंद्र बना दिया है। तमिल को केवल एक संवाद का माध्यम नहीं समझा गया, बल्कि इसे समुदाय की आवाज माना गया है। हमारे नेताओं ने साहित्य का उपयोग करके जनसामान्य के साथ जुड़ने की कोशिश की। अन्नादुराई और कलैग्नार (करुणानिधि) की भाषणों में साहित्यिक संदर्भ होते थे और द्रविड़ आंदोलन की राजनीतिक विचारधारा को आम जनता के लिए समझने योग्य बना देते थे।”
हिंदी भाषा पर चिंता
Udhayanidhi ने स्पष्ट किया कि यदि हिंदी को तमिलनाडु पर थोपने का प्रयास किया गया, तो यह राज्य की भाषाओं की पहचान को मिटा देगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में दोनों राज्य तमिलनाडु और केरल को भारत के सबसे प्रगतिशील राज्यों के रूप में देखा जाता है और दोनों ने फासीवादी और साम्प्रदायिक ताकतों को सफलतापूर्वक पीछे रखा है। यह स्थिति दर्शाती है कि समाज में भाषाई और सांस्कृतिक पहचान का कितना महत्व है।
फिल्म उद्योग का योगदान
Udhayanidhi ने यह भी कहा कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने तमिल फिल्म उद्योग में कुछ समय बिताया है, जो अरबों का व्यवसाय कर रहा है। इसी तरह, केरल का फिल्म उद्योग भी फलफूल रहा है। उन्होंने हाल के समय में निर्मित कई मलयालम फिल्मों को पसंद किया है। उन्होंने कहा, “तेलुगु और कन्नड़ फिल्में भी अच्छी कर रही हैं।”
द्रविड़ आंदोलन की साहित्यिक परंपरा
Udhayanidhi ने द्रविड़ आंदोलन की साहित्यिक परंपरा पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ एक राजनीतिक आंदोलन नहीं है, बल्कि यह भाषा, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के लिए भी समर्पित है। द्रविड़ आंदोलन ने भाषा को एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक उपकरण के रूप में स्थापित किया है, जिसका उपयोग नेता जनसाधारण से जुड़ने के लिए करते हैं।
Udhayanidhi Stalin का यह बयान स्पष्ट करता है कि तमिलनाडु की राजनीतिक स्थिति और भाषाई पहचान को लेकर गहरा चिंतन है। उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि एक भाषा को जबरदस्ती थोपने से न केवल सांस्कृतिक विविधता को खतरा होता है, बल्कि यह समाज में टकराव और तनाव भी पैदा करता है।
तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भाषा की रक्षा के लिए चलाए जा रहे प्रयासों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि हर राज्य अपनी भाषाई पहचान को बनाए रखे और उसे सुरक्षित करे। Udhayanidhi का यह बयान उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें वे अपने राज्य की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं।