Delhi: दिल्ली में बस मार्शलों की बहाली के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों के बीच हंगामा हो गया। मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी विधायकों ने मुख्यमंत्री आतिशी से मिलने का समय मांगा था, लेकिन सरकार ने इस बैठक में बस मार्शलों और विधायकों को भी बुला लिया। इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच विवाद शुरू हो गया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
बैठक में हंगामे का वीडियो सामने आया
बैठक के दौरान हुए हंगामे का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दोनों पक्षों को एक-दूसरे से बहस करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में दिखाया गया है कि बस मार्शल हाथ जोड़कर एक नेता के सामने कुछ कह रहे हैं, जिस पर नेता कहते हैं, “हम आपकी नौकरी चाहते हैं।” इस वीडियो में सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव को साफ देखा जा सकता है। यह हंगामा सरकार और विपक्ष के बीच लंबे समय से चल रहे इस मुद्दे पर आपसी मतभेद को दर्शाता है।
बीजेपी-आप के बीच बयानबाज़ी तेज
शुक्रवार को दिल्ली में पूर्व बस मार्शलों की बहाली के मुद्दे पर आप और बीजेपी के बीच बयानबाज़ी तेज हो गई। आप मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल (LG) पर दोषारोपण किया। भारद्वाज ने बताया कि बीजेपी के किसी भी विधायक ने 3 अक्टूबर को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ निर्धारित बैठक में हिस्सा नहीं लिया। भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर तानाशाही करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह दिल्ली के युवाओं को बेरोजगारी की ओर धकेलने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उपराज्यपाल ने मंत्रियों से मुलाकात नहीं की और इस मुद्दे को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
बीजेपी ने आप सरकार पर गंभीर आरोप लगाए
वहीं, नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आप सरकार पर मार्शलों की दुर्दशा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी ने अब तक मार्शलों को बहाल क्यों नहीं किया। विजेंद्र गुप्ता ने घोषणा की कि बीजेपी के विधायक 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और मार्शलों की बहाली के लिए कैबिनेट नोट जारी करने का आग्रह करेंगे। इसी मुद्दे पर आज बैठक का आयोजन किया गया था, जो विवाद का कारण बन गई।
बस मार्शलों की बर्खास्तगी के मुद्दे पर विधानसभा में हंगामा
गौरतलब है कि 26 सितंबर से शुरू हुए दिल्ली विधानसभा के दो दिवसीय सत्र के दौरान भी बस मार्शलों की बर्खास्तगी के मुद्दे पर हंगामा हुआ था। इस दौरान आप और बीजेपी दोनों के सदस्यों ने मार्शलों की बहाली के लिए एक प्रस्ताव का समर्थन किया था। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि सभी आप और बीजेपी के विधायक 3 अक्टूबर को उपराज्यपाल से मिलकर मार्शलों की बहाली सुनिश्चित करेंगे।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई बस मार्शलों को उनकी नौकरियों से बर्खास्त कर दिया था। यह फैसला दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग द्वारा लिया गया था, जिसमें कहा गया था कि कुछ बस मार्शल अब आवश्यक नहीं रहे हैं और उन्हें हटा दिया जाएगा। इस कदम का बीजेपी ने तीव्र विरोध किया और इसे सरकार की विफलता बताया।
मार्शलों की बहाली पर सरकार और विपक्ष की राय
दिल्ली सरकार और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर मतभेद गहरा गए हैं। जहां आप सरकार का कहना है कि उन्होंने मार्शलों की नियुक्ति दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए की थी, वहीं बीजेपी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला कर रही है। बीजेपी का कहना है कि यह मार्शलों की नौकरियों से छेड़छाड़ करना दिल्ली के युवाओं के साथ अन्याय है और सरकार ने उनका भविष्य अंधकारमय कर दिया है।
आप सरकार के अनुसार, बस मार्शल योजना दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसे उन्होंने चुनाव के दौरान वादा किया था। लेकिन अब जब सरकार ने कुछ मार्शलों को हटाने का फैसला लिया है, तो यह मामला राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है।
बीजेपी का यह भी कहना है कि सरकार को मार्शलों की बहाली के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए, क्योंकि इन मार्शलों का काम महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और उन्हें हटाना सुरक्षा के मुद्दे पर लापरवाही है।
आगे की रणनीति
इस विवाद के बीच, आप सरकार और बीजेपी के बीच आने वाले दिनों में और ज्यादा टकराव देखने को मिल सकता है। बीजेपी जहां इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जा रही है और इसे राजनीतिक हथियार बना रही है, वहीं आप सरकार ने अभी तक इस मामले पर अपनी अंतिम राय नहीं दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच क्या निर्णय लिए जाते हैं और क्या मार्शलों की बहाली हो पाती है या नहीं।
फिलहाल, दिल्ली की राजनीति में यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है और इसके हल होने तक दोनों पक्षों के बीच संघर्ष जारी रहने की संभावना है।