New Delhi: दिल्ली में विकास कार्यों और योजनाओं को लेकर एक बड़ी चिंता उभर कर सामने आ रही है। हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित बजट अनुमानों (RE) में जो राजकोषीय घाटा सामने आया है, उससे विभिन्न विकास कार्य प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। कई परियोजनाएँ तो अभी शुरू भी नहीं हुई हैं, जबकि कुछ कार्य चल रहे हैं। इस बजट घाटे के पीछे कई कारण हैं, जिनका विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।
दिल्ली के विकास कार्यों पर खतरा
दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को यह आदेश दिया गया है कि वे अपने अनुरोधों को संशोधित बजट के लिए प्रस्तुत करें। इससे कई नई समस्याएँ सामने आ सकती हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री अतिशी और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषित योजनाएँ, जैसे कि दिल्ली की सभी टूटी सड़कों की मरम्मत, उनके लिए बजट का प्रावधान भी संदेह में है। इस स्थिति ने शहर के विकास कार्यों को अधर में लटका दिया है।
प्रमुख परियोजनाओं पर असर
दिल्ली की विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन की आवश्यकता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण जरूरतें इस प्रकार हैं:
- कानून विभाग: जिला न्यायालयों को राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की द्वितीय रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए 141 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- बिजली: सब्सिडी के लिए 512 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- परिवहन: ई-बसों के संचालन और वित्तपोषण के लिए 941 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण विभाग: 447 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- DMRC: कोविड काल के संचालन घाटों के लिए 200 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- JICA से लिए गए ऋण की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव: इसके लिए 2000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- JICA से पूंजी ऋण चुकाने के लिए: 2871 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग: 250 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- छह अस्पतालों के संचालन के लिए भारी मात्रा में राशि की आवश्यकता है।
- नए न्यायालय परिसर के निर्माण के लिए: 555 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- हाई कोर्ट और विभिन्न जिला न्यायालयों में नवीनीकरण के लिए: 285 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- बस डिपो और टर्मिनलों के निर्माण के लिए: 4666 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- नई अस्पतालों के निर्माण और मौजूदा अस्पतालों के पुनर्निर्माण के लिए: 1681 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- PWD कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए: 213 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- नजफगढ़ नाले और अन्य का गंदगी साफ करने के लिए: 340 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
- जेल और FSL में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए: 115 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
वित्तीय प्रबंधन पर सवाल
दिल्ली राज्य बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पिछले 10 वर्षों से कई झूठे दावे कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य मंत्रियों ने यह दावा किया था कि दिल्ली में बजट अधिशेष है। उन्होंने कहा कि कई योजनाएँ बिना वित्तीय संसाधनों के घोषणा की गईं। अब वित्त विभाग की रिपोर्ट से सरकार की वित्तीय स्थिति का सच सामने आ गया है।
सचदेवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 1994-95 में मदनलाल खुराना सरकार ने दिल्ली को पहला अधिशेष बजट दिया था। उसके बाद से 2022-23 तक सभी सरकारें अधिशेष बजट लाती रहीं। अब, पहली बार 2024-25 का बजट घाटे में आ गया है। सरकार के पास घोषित परियोजनाओं के लिए फंड नहीं है। संभव है कि दिसंबर में दिल्ली सरकार को अपने कर्मचारियों को वेतन देने में भी परेशानी हो।
बजट घाटे का कारण
सामान्यतः बजट घाटा तब होता है जब व्यय राजस्व से कम होता है। दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ रहा है, फिर भी घाटा हो रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि जन कल्याण योजनाएँ बिना वित्तीय संसाधनों के लागू की जा रही हैं। इस कारण से बिजली सब्सिडी, परिवहन और जल निकासी विभाग, निर्माणाधीन अस्पतालों, मेट्रो और न्यायालय परिसर के निर्माण आदि के लिए अतिरिक्त 7000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।
भविष्य की चुनौतियाँ
अगर दिल्ली सरकार इस वित्तीय संकट को समय पर नियंत्रित नहीं कर पाती, तो आने वाले समय में विभिन्न विकास परियोजनाएँ अधूरी रह सकती हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि योजनाओं के लिए पर्याप्त फंड की व्यवस्था की जाए ताकि विकास कार्य सुचारू रूप से चलते रहें।
इस वित्तीय स्थिति से न केवल सरकार के कामकाज पर असर पड़ेगा, बल्कि यह आम जनता के जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।