New Delhi: दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है। विधायक दल की बैठक में अतीशी के मुख्यमंत्री पद के लिए नाम की मंजूरी दे दी गई है। इस बीच, अरविंद केजरीवाल आज अपने पद से इस्तीफा देंगे। इस स्थिति में यह सवाल उठ रहा है कि क्या केजरीवाल को इस्तीफा देने के बाद महंगे मुख्यमंत्री आवास को छोड़ना पड़ेगा? और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो नियम क्या कहते हैं?
मुख्यमंत्री आवास को छोड़ने का नियम
अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, नियम के अनुसार, उन्हें मुख्यमंत्री आवास को 15 दिन के भीतर खाली करना होगा। यह प्रक्रिया एक मानक प्रोटोकॉल का हिस्सा है। हालांकि, इस समय को और बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह सामान्य तौर पर इस अवधि के भीतर पूरा किया जाता है।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, केजरीवाल को सरकारी बंगला और सरकारी गाड़ी नहीं मिलेगी। उनका वेतन भी रुक जाएगा, लेकिन उन्हें पूर्व विधायक के पद के अनुसार पेंशन प्राप्त होगी।
दिल्ली में आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास की स्थिति
दिल्ली में कोई आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास नहीं है। मुख्यमंत्री जिस सरकारी घर में निवास करते हैं, वही उस समय के लिए आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास के रूप में माना जाता है। अतीशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्हें एक सरकारी आवास मिलेगा जिसमें आधुनिक सुविधाएं, सुरक्षा व्यवस्था, कार्यालय और निजी स्थान होगा। उन्हें एक विशेष सुरक्षा दल मिलेगा, साथ ही एक सरकारी वाहन भी प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त, उन्हें अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने की सुविधा भी मिलेगी।
45 करोड़ रुपये के मरम्मत के विवाद
अरविंद केजरीवाल के बंगले की मरम्मत पर 45 करोड़ रुपये खर्च करने का मामला खूब सुर्खियों में रहा। भाजपा ने इस मुद्दे पर केजरीवाल की कड़ी आलोचना की और उन्हें घेरने की कोशिश की। भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा था कि महाराज की सच्चाई सामने आ गई है। केजरीवाल ने बंगले की मरम्मत पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि मरम्मत पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पर्दे, टाइल्स, रसोई सभी की अपनी कहानी है। सभी का दावा है कि वे उच्च गुणवत्ता के हैं। पात्रा ने कहा कि एक पर्दे की कीमत 8 लाख रुपये थी और 23 पर्दे लगाए गए। यह वही अरविंद केजरीवाल हैं जो पहले अपने गले में मफलर पहनते थे और पुरानी गाड़ी में यात्रा करते थे। उनके शपथ ग्रहण के दिन कौन नहीं जानता कि वे एक ऑटो में लटके हुए आए थे। किसी को नहीं पता कि वह वागन आर कार कहाँ है जिसमें वे शपथ लेने आए थे।
वियतनाम से 1 करोड़ 15 लाख रुपये की कीमत का संगमरमर मंगवाया गया था। इसके अलावा, 4 करोड़ रुपये का प्री-फैब्रिकेटेड लकड़ी भी लगाया गया था।