New Delhi: आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने रविवार को अपने और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के रिश्ते की तुलना भगवान राम और लक्ष्मण से की। सिसोदिया ने यह बयान ‘जनता की अदालत’ रैली में दिया, जहां उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह उन्हें केजरीवाल से अलग करने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने सिसोदिया के इस बयान पर तीखा पलटवार करते हुए उन्हें “ड्रामे का राजा” करार दिया।
सिसोदिया का बयान
सिसोदिया ने कहा, “जितना भी रावण बलशाली हो, उतना भी वह लक्ष्मण को भगवान राम से अलग नहीं कर सकता। मैं हमेशा अरविंद केजरीवाल के साथ रहूंगा, जब वह इस तानाशाही के रावण के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि जब तक जनता उन्हें ईमानदार नहीं मानती, तब तक वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री के पद पर नहीं बैठेंगे।
यह बयान सिसोदिया के लिए महत्वपूर्ण था, खासकर तब जब केजरीवाल ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। केजरीवाल ने कहा था कि वह फिर से इस पद को तब ग्रहण करेंगे जब लोग उन्हें ईमानदारी का प्रमाण पत्र देंगे।
ED द्वारा बैंक खाता फ्रीज करना
सिसोदिया ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि जब वह पत्रकार थे, तब उन्होंने 2002 में 5 लाख रुपये में एक छोटा घर खरीदा और उनके बैंक खाते में 10 लाख रुपये थे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खाते को फ्रीज कर दिया है, जिसके कारण उन्हें अपने बेटे की कॉलेज की फीस के लिए लोगों से मदद मांगनी पड़ी।
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने सिसोदिया के आरोपों का जवाब देते हुए उन्हें “ड्रामे का राजा” कहा। भाजपा के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “सिसोदिया का यह बयान हास्यास्पद है। एक महीने और आधे बाद जेल से रिहाई के बाद वह यह बात कैसे याद कर रहे हैं?”
सचदेवा ने यह भी कहा कि सिसोदिया केवल एक अच्छी कहानी के जरिए खुद को लक्ष्मण के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि अगले महीने होने वाली रामलीला से पहले की एक चाल हो सकती है।
राजनीति में ईमानदारी की चुनौती
सिसोदिया का बयान यह दर्शाता है कि वह अपनी ईमानदारी को जनता के सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में रहकर भी लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करेंगे। इस संदर्भ में, सिसोदिया ने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों को साझा किया, जिसमें उन्होंने अपनी वित्तीय स्थिति का भी जिक्र किया।
भविष्य की योजनाएं
आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, सिसोदिया और केजरीवाल दोनों ही अपने संबंधों को मजबूत करने और पार्टी को एकजुट रखने का प्रयास कर रहे हैं। पार्टी के नेता अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और जनता के बीच अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए नई रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं।
सिसोदिया ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह राजनीतिक लड़ाई जारी रखेंगे, चाहे जो भी चुनौतियां सामने आएं। उनका यह बयान पार्टी के भीतर एकजुटता बनाए रखने का संकेत भी है।