Lok Sabha Elections: Lok Sabha Elections के अंतिम चरण में जिन 13 सीटों पर मतदान होने जा रहा है, वहां यादवों की तुलना में गैर-यादव पिछड़ी जातियों की संख्या अधिक है, जिसमें कुर्मी, कुशवाहा, राजभर, बिंद, चौहान, पाल, प्रजापति और निषाद शामिल हैं। इसलिए, इन जातियों का चुनावी समीकरणों को बनाने या बिगाड़ने में बड़ा रोल होता है। ऐसी स्थिति में, सातवें चरण के मतदान में NDA और इंडिया के बीच गैर-यादव ओबीसी वोटों को पाने की लड़ाई होगी। इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए, सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष ने कई सीटों पर इन जातियों के उम्मीदवार खड़े किए हैं।
अगर हम दोनों पक्षों के उम्मीदवारों की सूची पर नजर डालें, तो स्पष्ट होता है कि NDA और इंडिया ने खुले तौर पर गैर-यादव ओबीसी जातियों पर दांव लगाया है। वहीं, बीएसपी ने भी पिछली बार सातवें चरण में जीती गई दो सीटों को छोड़कर (बांसगांव और रॉबर्ट्सगंज) कई सीटों पर पिछड़ी जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, सातवें चरण की 13 सीटों में से सात ऐसी सीटें हैं जहां NDA और इंडिया ने गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों को खड़ा कर सभी सीटों को जीतने का प्रयास किया है। इनमें से तीन सीटें ऐसी हैं जहां गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवार आमने-सामने हैं। इन सीटों पर कुर्मी, बिंद, कुशवाहा और राजभर जातियों के उम्मीदवार खड़े किए गए हैं। जबकि NDA ने दो सीटों पर कुर्मी और निषाद पर दांव लगाया है, इंडिया ने भी दो सीटों पर यही किया है। BJP गैर-यादव ओबीसी की मदद से अपनी समीकरण जीतने की कोशिश कर रही है, वहीं इंडिया गठबंधन भी अपने यादव और मुस्लिम वोट बैंक के साथ-साथ गैर-यादव ओबीसी की मदद से बड़ी छाप छोड़ने की कोशिश कर रहा है।
तीन सीटों पर आमने-सामने हैं गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवार
मिर्जापुर: अनुप्रिया पटेल (अपना दल-एस) और रमेश बिंद (SP)
महाराजगंज: पंकज चौधरी (BJP) और वीरेंद्र चौधरी (SP)
सलेमपुर: रविंद्र कुशवाहा (BJP) और रामाशंकर राजभर (SP)
मोदी की मदद से समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश
अगर हम NDA की बात करें, तो इस चरण की 13 सीटों में से दो सीटें सहयोगी अपना दल (एस) और एक सीट सुभाSP के खाते में हैं। इसके बावजूद, BJP प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को, जो वाराणसी से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं, सबसे बड़े पिछड़े चेहरे के रूप में प्रस्तुत कर रही है। BJP मोदी की मदद से अंतिम चरण की सभी सीटों के समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश कर रही है।
उम्मीदवारों के चयन में समीकरणों का ध्यान
उम्मीदवारों के चयन में अंतिम चरण की सीटों पर गैर-यादव पिछड़ी जातियों के समीकरणों का ध्यान रखा गया है। यही कारण है कि इन समुदायों के चेहरों को ही मौका दिया गया है। दोनों गठबंधन मानते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय इन जातियों को अवसर देने से उनकी उपजातियों पर भी असर पड़ेगा, जो चुनावों में लाभकारी हो सकता है।