Delhi। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मुफ्त बिजली योजना के तहत शून्य बिजली बिल प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख से भी कम है। कुल 59 लाख घरेलू उपभोक्ताओं में से 70 प्रतिशत लोग हर महीने 500 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक का बिजली बिल भरते हैं। यह दावा सरकारी सूत्रों ने सोमवार को किया। दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस योजना को लेकर कहा कि उनकी सरकार देश की पहली सरकार है जो हर महीने 200 यूनिट तक की मुफ्त बिजली और 400 यूनिट तक के उपभोग पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है।
बीजेपी बनाम आप: मुफ्त बिजली योजना पर तकरार
दिल्ली की मुफ्त बिजली योजना पर एक बार फिर से राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर आरोप लगाया है कि वह अधिकारियों पर दबाव डालकर दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली योजना को बंद करना चाहती है। आप के बयान के मुताबिक, बीजेपी की मंशा यह है कि दिल्ली के लोगों को मिलने वाली इस राहत को खत्म किया जाए। दूसरी ओर, बीजेपी की दिल्ली इकाई के एक प्रवक्ता ने आप पर आरोप लगाया कि वह बिजली सब्सिडी योजना और बढ़ते बिजली बिलों के मुद्दे पर दिल्ली के लोगों को “गुमराह” करने की कोशिश कर रही है।
कितने लोग कितना बिजली बिल भरते हैं?
सरकारी सूत्रों ने बिजली विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि दिल्ली के 70 प्रतिशत से अधिक निवासी बिजली का बिल भरते हैं। इनमें से करीब 40 प्रतिशत लोग हर महीने 2000 रुपये से अधिक का बिजली बिल भरते हैं। इसके अलावा, 14 प्रतिशत उपभोक्ता 1000 रुपये से 2000 रुपये तक का बिल भरते हैं और लगभग 11 प्रतिशत उपभोक्ताओं का मासिक बिजली बिल 500 रुपये से 1000 रुपये के बीच होता है।
यह तथ्य यह दर्शाता है कि दिल्ली में अधिकांश लोग, विशेषकर मध्यमवर्गीय और निचले वर्ग के उपभोक्ता, अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सीमित बिजली खपत करते हैं और उन्हें सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पाता है। फिर भी, मुफ्त बिजली योजना उन परिवारों के लिए बड़ी राहत का काम कर रही है, जिनकी खपत 200 यूनिट तक सीमित रहती है।
दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली योजना
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की यह योजना 2019 में शुरू की गई थी, जिसके तहत 200 यूनिट तक की बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं का बिल शून्य हो जाता है। इसके अलावा, जो लोग 400 यूनिट तक बिजली की खपत करते हैं, उन्हें कुल बिल पर 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। इस योजना का उद्देश्य गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को आर्थिक राहत प्रदान करना है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इस योजना को अपनी बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया है। सरकार का दावा है कि इससे लाखों परिवारों को फायदा हुआ है, खासकर उन लोगों को जो अपनी सीमित आय में जीवनयापन कर रहे हैं।
बीजेपी का आरोप
बीजेपी की दिल्ली इकाई ने इस योजना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आप सरकार दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रही है। बीजेपी प्रवक्ता ने दावा किया कि बिजली सब्सिडी योजना के नाम पर बढ़ते बिजली बिलों को छिपाने की कोशिश की जा रही है। उनका आरोप है कि दिल्ली में बिजली की दरें अन्य राज्यों की तुलना में अधिक हैं, और सरकार इन दरों को कम करने के बजाय मुफ्त बिजली का लालच देकर वोट बैंक की राजनीति कर रही है।
बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि आप सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी दरअसल जनता के कर के पैसों से दी जा रही है, और यह योजना दीर्घकालिक रूप से आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं है। पार्टी ने मांग की है कि बिजली की दरों में स्थायी कमी की जाए, ताकि हर वर्ग के लोग इसका लाभ उठा सकें।
दिल्ली के उपभोक्ताओं की राय
दिल्ली के उपभोक्ताओं के बीच इस योजना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं। जहाँ एक तरफ गरीब और सीमित आय वाले परिवार इसे राहत की सांस के रूप में देखते हैं, वहीं दूसरी ओर उच्च और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्हें इस योजना का कोई लाभ नहीं मिलता। उनका मानना है कि सरकार को बिजली की दरों में व्यापक कमी करनी चाहिए, ताकि सभी वर्गों को समान रूप से फायदा हो।
प्रदूषण और बिजली की मांग
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर उच्च रहता है, और इसके चलते सर्दियों के मौसम में बिजली की मांग में भी वृद्धि होती है। ऐसे में, बिजली कंपनियों पर दबाव बढ़ता है, और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अधिकतम उत्पादन करना पड़ता है। इस संदर्भ में, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मुफ्त बिजली योजना का प्रभावी संचालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को बिजली कंपनियों के साथ बेहतर तालमेल बनाना होगा।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार को अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि बिजली उत्पादन में सुधार हो और प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सके।