Indore ऑनलाइन धोखाधड़ी का बड़ा खुलासा, मदरसे के खाते में करोड़ों का लेनदेन, प्रबंधक और बेटा गिरफ्तार
Indore पुलिस की क्राइम ब्रांच ने डिजिटल धोखाधड़ी के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। ऑनलाइन धोखाधड़ी से जुड़ा करोड़ों रुपया उत्तर प्रदेश के कन्नौज में स्थित मदरसा फलाह दारैन कमेटी के खाते में ट्रांसफर किया गया। यहां से रकम को विभिन्न खातों में भेजा गया। धोखाधड़ी के मुख्य आरोपियों ने 50% कमीशन के लालच में मदरसे के करंट अकाउंट का इस्तेमाल किया। पुलिस ने मदरसे के प्रबंधक अली अहमद खान और उनके बेटे असद अहमद खान को गिरफ्तार कर लिया है।
कैसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा
इंदौर क्राइम ब्रांच के एडीशनल डीसीपी राजेश डंडोतिया ने जानकारी दी कि 65 वर्षीय महिला ने एनसीआरपी पोर्टल पर डिजिटल ठगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। महिला को 11 सितंबर की सुबह व्हाट्सऐप कॉल आई, जिसमें खुद को टेलीकॉम रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनके नाम पर एक जियो सिम है, जिसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए किया गया है। इसके बाद, एक अन्य कॉल में खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल करके कंबोडिया में एक पार्सल भेजा गया है।
आरोपियों ने महिला को धमकाया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स और आतंकवाद से जुड़े मामलों में वारंट जारी हो चुका है। महिला को डराकर 13 सितंबर को दो खातों में 46 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
मदरसे का खाता कैसे आया जांच के दायरे में
पुलिस ने जब महिला के ट्रांसफर किए गए पैसों की जांच की, तो पता चला कि यह पैसा कन्नौज के मदरसा फलाह दारैन सवारी ट्रस्ट के खाते में गया था। यह ट्रस्ट उत्तर प्रदेश के कन्नौज में स्थित है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मदरसे के प्रबंधक अली अहमद खान और उनके बेटे असद अहमद खान को गिरफ्तार कर लिया।
कैसे होता था करोड़ों का लेन-देन
आरोपियों ने मदरसे के करंट अकाउंट को किराए पर लिया था और इसके जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन किया। धोखाधड़ी के पैसे को विभिन्न खातों में ट्रांसफर करने के लिए चीनी वीपीएन और सेंडर ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल किया गया।
पुलिस ने अब तक 42 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है, जिनमें करोड़ों रुपये की लेन-देन की जानकारी मिली है। इंदौर की महिला के द्वारा भेजी गई राशि को मदरसे के खाते से 18 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया था।
मुख्य आरोपी अब भी फरार
पुलिस ने मदरसे के प्रबंधक और उनके बेटे को तो गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। अपराधियों ने महिला को गुमराह कर बड़ी राशि ठगी और इसे कई खातों में बांट दिया।
ऑनलाइन धोखाधड़ी का तरीका
- फर्जी कॉल और डराने की रणनीति:
अपराधियों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर महिला को डराया और झूठे आरोप लगाकर पैसा ट्रांसफर करवाया। - डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल:
धोखाधड़ी को छिपाने के लिए चीनी वीपीएन और सेंडर ऐप का उपयोग किया गया। - कमीशन का लालच देकर खाता किराए पर लेना:
मदरसे के प्रबंधक और उनके बेटे को 50% कमीशन का लालच देकर उनका खाता किराए पर लिया गया।
पुलिस की कार्रवाई
क्राइम ब्रांच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। अब तक 42 खातों को सीज कर दिया गया है, और पुलिस मुख्य आरोपियों की तलाश में जुटी है।
मदरसा प्रबंधक की भूमिका पर सवाल
पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मदरसे के प्रबंधक और उनके बेटे ने धोखाधड़ी के पैसे को अपने खाते में जमा करने की अनुमति दी। कमीशन के लालच में उन्होंने इस अपराध में भागीदारी की।
ऑनलाइन ठगी से बचने के उपाय
- अनजान कॉल्स से सावधान रहें:
अगर कोई कॉल सरकारी अधिकारी बनकर आपको धमकाता है, तो पहले उसकी सच्चाई की जांच करें। - आधिकारिक जानकारी की पुष्टि करें:
किसी भी प्रकार की धमकी या वित्तीय लेन-देन से पहले संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी प्राप्त करें। - फिशिंग कॉल्स से बचें:
अपने बैंक अकाउंट और व्यक्तिगत जानकारी किसी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें।
इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा उजागर किया गया यह मामला डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते खतरों की ओर इशारा करता है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि अपराधी अपने गलत कामों को अंजाम देने के लिए धार्मिक संस्थानों और भोले-भाले लोगों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस गिरोह की पोल खोल दी है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी फरार हैं।
ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों से बचने के लिए सतर्क रहना और समय पर कार्रवाई करना आवश्यक है। इस घटना ने सभी को सतर्क रहने और अनजान कॉल्स से सावधान रहने का संदेश दिया है।