Pitra Paksha, जिसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हर साल हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह 15 दिवसीय अवधि पितरों को समर्पित होती है, जिसमें उनके लिए भोजन का भोग लगाया जाता है। इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 को पूर्णिमा के दिन से हुई है और इसका समापन अमावस्या के दिन होगा। पितृपक्ष के दौरान अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोजन का भोग लगाना महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि पितरों को संतुष्ट करने से जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
पितृपक्ष का महत्व और परंपरा
पितृपक्ष का संबंध पूर्वजों की आत्माओं से है। ऐसा कहा जाता है कि जब व्यक्ति अपने पितरों की आत्माओं को प्रसन्न करता है, तो उसे उनके आशीर्वाद से समृद्धि, सुख और सफलता प्राप्त होती है। यह समय हमारे उन पूर्वजों को सम्मान देने का होता है जो अब इस संसार में नहीं हैं, और उनकी आत्माओं को शांति प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इस अवधि में श्राद्ध कर्म और तर्पण का विशेष महत्व होता है।
उड़द दाल: पितरों को प्रसन्न करने का उपाय
पितृपक्ष में उड़द दाल का विशेष महत्व होता है। इसे पितरों के भोग में शामिल करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है। उड़द दाल से बनी किसी भी एक वस्तु को भोग में शामिल करने की परंपरा है। उड़द दाल को जीवन में सुख-समृद्धि, लंबी आयु, संतान प्राप्ति और धन-संपत्ति के बढ़ने के लिए भोग में अर्पित किया जाता है।
पितरों के लिए उड़द दाल से बने भोग
पितृपक्ष के दौरान, यह कहा जाता है कि व्यक्ति को अपने पितरों की पसंद के भोजन का भोग लगाना चाहिए। लेकिन साथ ही, उड़द दाल से बनी किसी एक वस्तु को अवश्य शामिल करना चाहिए। यहाँ कुछ ऐसी व्यंजन दिए गए हैं जिन्हें पितरों को भोग में अर्पित किया जा सकता है:
- उड़द दाल की कचौरी: पितरों को अर्पित करने के लिए उड़द दाल की कचौरी एक बेहतरीन विकल्प है। यह न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसे बनाना भी सरल है। इस कचौरी को शुद्ध घी में तलकर भोग में अर्पित किया जा सकता है।
- उड़द दाल के पकोड़े: उड़द दाल के पकोड़े भी पितरों को प्रसन्न करने का एक अच्छा उपाय हैं। इन्हें भोग में शामिल करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। पकोड़ों को शुद्ध घी में तलकर और मसालों के साथ बनाकर भोग लगाया जा सकता है।
- दही बड़े: उड़द दाल से बने दही बड़े भी भोग के लिए उपयुक्त होते हैं। इन्हें बनाना आसान है और इनका स्वाद भी अद्वितीय होता है। दही बड़े को ताजे दही और मसाले डालकर अर्पित किया जा सकता है।
इमरती और अन्य व्यंजन
पितृपक्ष के दौरान उड़द दाल से बनी इमरती का भी विशेष महत्व होता है। इमरती का सेवन और इसका पितरों को भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, उड़द दाल की पूरियां भी बनाई जा सकती हैं। इन व्यंजनों के साथ-साथ खीर, सब्जी और अन्य विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं, जिन्हें पितरों को भोग में अर्पित किया जाता है।
भोग के बाद पंडित जी और परिवार को भोजन कराना
भोग अर्पण करने के बाद पितरों के नाम पर पंडित जी को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद परिवार के सदस्य भी इस भोजन को ग्रहण करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस प्रक्रिया से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार के सभी सदस्यों पर बना रहता है। यह आस्था और विश्वास का प्रतीक है और इसे पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाता है।
पितृपक्ष में इन बातों का रखें ध्यान
पितृपक्ष के दौरान भोजन तैयार करने और भोग लगाने में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। सबसे पहले, भोजन पूरी पवित्रता और शुद्धता के साथ बनाया जाना चाहिए। भोजन में तामसिक चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए। पितरों के लिए बनाए गए भोजन को सबसे पहले भोग लगाकर फिर घर के अन्य लोगों को दिया जाना चाहिए।