Drinker Sai: “ड्रिंकर साई” एक कम बजट की तेलुगु फिल्म है, जिसे बड़े पैमाने पर प्रचारित किया गया है। यह फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसे किरण तिरुमलसेट्टी ने निर्देशित किया है। यह उनकी पहली निर्देशकीय फिल्म है। आइए इस फिल्म का विश्लेषण करें।
फिल्म की कहानी साई (धर्मा) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक बिगड़ा हुआ युवक है। वह अपनी जिंदगी शराब पीने और मस्ती करने में बर्बाद करता है। एक दिन, भगी (ऐश्वर्या शर्मा) नामक लड़की साई को गलती से घायल कर देती है। इसी के साथ एक नई प्रेम कहानी की शुरुआत होती है।
साई भगी से गहरा प्यार करने लगता है, और धीरे-धीरे भगी भी उसका साथ देती है। हालांकि, भगी का प्यार असली नहीं है, और इसके पीछे छिपे कारण दर्शकों के लिए एक रहस्य हैं। यह कहानी आगे किस दिशा में जाएगी? क्या साई भगी का दिल जीत पाएगा? क्या भगी एक शराबी को स्वीकार कर पाएगी? यही इस फिल्म की कहानी का मुख्य बिंदु है।
अभिनय
- धर्मा: फिल्म में धर्मा ने साई की भूमिका निभाई है। वह नई प्रतिभा हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन काफी परिपक्व लगता है। “ड्रिंकर साई” के रूप में उन्होंने एक चुनौतीपूर्ण भूमिका को अच्छे से संभाला।
- ऐश्वर्या शर्मा: उन्होंने भगी की भूमिका में औसत प्रदर्शन किया है। शुरुआत में उनकी भूमिका साधारण लगती है, लेकिन भावुक दृश्यों में वह अच्छा प्रदर्शन करती हैं।
- किर्राक सीता और रितु चौधरी: इनका प्रदर्शन कमजोर है और वे फिल्म में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पातीं।
- भद्रम: उनकी कॉमेडी कुछ दृश्यों में काम करती है, लेकिन ज्यादातर हिस्सों में कमजोर रहती है।
तकनीकी पक्ष
- संगीत: श्री वसंत का संगीत ठीक-ठाक है। हालांकि गाने कहानी में सही जगह पर फिट नहीं होते। बैकग्राउंड म्यूजिक (BGM) अच्छी है और कहानी को थोड़ा ऊंचा उठाती है।
- सिनेमैटोग्राफी: सीमित बजट के बावजूद, सिनेमैटोग्राफी सराहनीय है। शॉट्स और दृश्यों की बनावट प्रभावित करती है।
- संपादन: फिल्म के पहले भाग को काफी संपादन की जरूरत है, क्योंकि कई दृश्य बेवजह लंबे खींचे गए हैं। क्लाइमेक्स भी थोड़ा खिंचा हुआ महसूस होता है।
- लेखन: फिल्म की स्क्रिप्ट साधारण है, जिसमें कोई खास बात नहीं है।
फिल्म की अच्छाइयां
- कहानी का मूल विचार: फिल्म की बुनियादी कहानी दिलचस्प है।
- धर्मा का अभिनय: धर्मा ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है।
फिल्म की कमजोरियां
- सामान्य कहानी: फिल्म की कहानी में नवीनता का अभाव है।
- संघर्ष की कमी: कहानी में मजबूत टकराव का अभाव है।
- नायक के चरित्र की स्पष्टता की कमी: नायक के चरित्र के उद्देश्यों को बेहतर तरीके से समझाया जा सकता था।
“ड्रिंकर साई” किरण तिरुमलसेट्टी की पहली निर्देशकीय फिल्म है। उन्होंने एक ऐसे रोमांटिक ड्रामा को चुना है, जो एक शराबी की प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है। हालांकि यह विचार नया नहीं है, फिल्म की शुरुआत में हीरो के चरित्र को स्थापित करने का तरीका प्रभावी है।
लेकिन, फिल्म में बहुत सारे अनावश्यक दृश्य हैं, जो दर्शकों को बोर कर सकते हैं। महत्वपूर्ण दृश्यों के बीच लंबा अंतराल है, और दर्शकों को इनका आनंद लेने के लिए धीमी गति से चलने वाले सामान्य दृश्यों को झेलना पड़ता है।
फिल्म की शुरुआत में शराबी और उसकी प्रेमिका के बीच की कहानी को ठीक से दिखाया गया है। लेकिन दूसरे भाग में, हीरो के चरित्र पर फोकस कम हो जाता है। उसकी हरकतों के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं की गई है।
कहानी में मुख्य संघर्ष तक पहुंचने में काफी समय लगता है। साथ ही, फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं, जो अनावश्यक और अप्रासंगिक लगते हैं।
जब किसी संदेश को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है, तो भावनाएं मजबूत होनी चाहिए। लेकिन “ड्रिंकर साई” में यह भावनात्मक गहराई गायब है। फिल्म की शुरुआत उम्मीदों के साथ होती है, लेकिन अंत में यह एक सामान्य और उबाऊ अनुभव बनकर रह जाती है।
“ड्रिंकर साई” एक साधारण कहानी के साथ बनी फिल्म है, जो धर्मा के अच्छे प्रदर्शन और श्री वसंत के बैकग्राउंड स्कोर के कारण थोड़ी सी राहत देती है। हालांकि, कमजोर लेखन, धीमी गति और स्पष्टता की कमी के कारण यह फिल्म दर्शकों को बांधने में असफल रहती है।
यदि आप सामान्य रोमांटिक ड्रामा फिल्मों के प्रशंसक हैं, तो “ड्रिंकर साई” एक बार देखी जा सकती है। लेकिन जो दर्शक कुछ नया और रोमांचक देखने की उम्मीद कर रहे हैं, उन्हें यह फिल्म निराश कर सकती है।