Delhi University छात्र संघ चुनाव के परिणाम की घोषणा को हरी झंडी, उच्च न्यायालय ने निर्धारित की तारीख
Delhi University (DU) में हाल ही में हुए छात्र संघ चुनाव के परिणामों को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को वोटों की गिनती शुरू करने की अनुमति दे दी है और इस प्रक्रिया को 26 नवम्बर से पहले शुरू करने का आदेश दिया है। साथ ही, अदालत ने विश्वविद्यालय परिसर में सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई और रंगाई-पोताई की प्रक्रिया को एक हफ्ते के भीतर पूरा करने का आदेश भी दिया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव और न्यायालय का निर्णय:
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव का आयोजन 27 सितंबर को हुआ था। इस चुनाव में विश्वविद्यालय के नए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव का चुनाव होना था। हालांकि, चुनाव के बाद छात्रसंघ के परिणामों की घोषणा में देरी हो रही थी। पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 अक्टूबर को वोटों की गिनती को स्थगित कर दिया था और आदेश दिया था कि चुनावी अवधि के दौरान सार्वजनिक संपत्ति की सफाई और रंगाई की प्रक्रिया की स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए।
इसके बाद, अदालत में इस मुद्दे पर सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता प्रशांत मंछंदा ने उच्च न्यायालय में यह मामला उठाया था कि चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने उन उम्मीदवारों की एक सूची भी अदालत में पेश की थी जिन्होंने चुनावी प्रचार के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।
स्वच्छता पर ध्यान देने की आवश्यकता:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह विश्वविद्यालय की सभी सार्वजनिक संपत्तियों को सही तरीके से साफ और रंगीन करें। अदालत ने यह भी कहा कि यह जिम्मेदारी वर्तमान और भविष्य के सभी छात्र संघ उम्मीदवारों की है कि वे विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर को साफ-सुथरा और बेहतर बनाएं। उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय को 10 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह पुष्टि की जाए कि सारी संपत्तियां अदालत के निर्देशानुसार बहाल की गई हैं।
इस बार का मतदान प्रतिशत:
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में इस बार मतदान प्रतिशत में कमी देखी गई। 27 सितंबर को हुए चुनाव में कुल 35.21 प्रतिशत मतदान हुआ। कुल 1,46,000 छात्रों में से केवल 51,400 छात्रों ने वोट डाले। मतदान दो शिफ्टों में हुआ था। पहले शिफ्ट में 1,23,500 छात्रों में से 44,300 छात्रों ने मतदान किया, जो कि 34.46 प्रतिशत था। दूसरी शिफ्ट में 17,386 छात्रों में से 7,087 छात्रों ने वोट डाले, जो कि 40.76 प्रतिशत था। परिणामों की घोषणा 28 सितंबर को की जानी थी, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद यह प्रक्रिया टल गई।
मतदान प्रक्रिया और उच्च न्यायालय के निर्देश:
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में मतदान प्रक्रिया का आयोजन दो शिफ्टों में किया गया था, जिससे छात्रों को आसानी से मतदान करने का अवसर मिला। पहले शिफ्ट में अधिकतर छात्रों ने मतदान किया, जबकि दूसरे शिफ्ट में मतदान प्रतिशत कम रहा। अदालत के आदेशों के बाद अब वोटों की गिनती 26 नवम्बर से पहले पूरी की जाएगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे।
सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई और सुरक्षा पर जोर:
इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित चुनावों में सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई और सुरक्षा के मामले में कोई सख्त निगरानी नहीं रखी जाती? कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और चुनावी प्रक्रिया के दौरान परिसर की साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए।
छात्रों का अधिकार और प्रशासन की जिम्मेदारी:
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जिसमें छात्रों को उनके अधिकारों की रक्षा करने का अवसर मिलता है। लेकिन इसके साथ ही प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह चुनावी प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर और सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। अदालत ने साफ किया है कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा, गंदगी या सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव के परिणामों की घोषणा के लिए अब उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाएगा। विश्वविद्यालय को 26 नवम्बर से पहले वोटों की गिनती शुरू करने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही, सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई और रंगाई की प्रक्रिया भी जल्द पूरी की जाएगी। इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय को एक साफ-सुथरे और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना होगा।
साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रसंघ चुनावों के दौरान किसी भी प्रकार का नुकसान न हो और चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से सम्पन्न हो।