Delhi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फिलहाल राहत की कोई उम्मीद नहीं है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) मामले में, राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को 25 सितंबर तक बढ़ा दिया है। इस मामले में AAP नेता दुर्गेश पाठक और अन्य को जमानत मिल गई है, लेकिन केजरीवाल की स्थिति अभी भी पेचीदा बनी हुई है।
AAP नेता दुर्गेश पाठक और अन्य को मिली जमानत
राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने AAP के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक और अन्य को जमानत प्रदान की है। उन्हें ₹1 लाख के जमानत बांड की पेशकश करनी पड़ी। पाठक और अन्य ने कोर्ट द्वारा जारी किए गए समन पर पेशी दी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तिहाड़ जेल से कोर्ट में पेश हुए। हालांकि, अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढ़ा दी गई है।
बीजेपी विधायकों का राष्ट्रपति को पत्र, सरकार को बर्खास्त करने की मांग
इस बीच, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजयेंद्र गुप्ता ने सोमवार को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के विधायकों द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए पत्र में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को संविधान के उल्लंघन के आरोप में बर्खास्त करने की मांग की गई है। यह पत्र गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है।
गुप्ता ने एक बयान में दावा किया कि दिल्ली सरकार ने छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन नहीं किया है और सीएजी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जो संविधान का उल्लंघन है। बीजेपी विधायकों का एक प्रतिनिधि मंडल 30 अगस्त को राष्ट्रपति से मिला और एक ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिसमें दिल्ली में संविधानिक संकट के मद्देनजर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई।
राष्ट्रपति सचिवालय से प्राप्त एक पत्र को साझा करते हुए गुप्ता ने कहा, “राष्ट्रपति ने ज्ञापन को संज्ञान में लिया है और इसे गृह सचिव के पास भेजा है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने गृह सचिव से इस मामले पर त्वरित और उचित कार्रवाई करने की अपील की है।
केजरीवाल की न्यायिक हिरासत का मामला
अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाने का फैसला राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने किया, जो CBI द्वारा दायर किए गए मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस मामले में आरोप है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भ्रष्टाचार और कस्टम नियमों के उल्लंघन में संलिप्तता की है। उनकी न्यायिक हिरासत को बढ़ाने का निर्णय मामले की गंभीरता को दर्शाता है और इसके परिणामस्वरूप राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य में संभावित बदलाव हो सकते हैं।
दिल्ली सरकार और संवैधानिक संकट
भा.ज.पा. द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन के अनुसार, दिल्ली सरकार ने कई संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया है। छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन और सीएजी रिपोर्ट पर कार्रवाई न करना उन प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं। भाजपा का दावा है कि इस प्रकार की अनियमितताएँ संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ हैं और इसके परिणामस्वरूप एक गंभीर संविधानिक संकट उत्पन्न हुआ है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस मामले को गृह मंत्रालय को भेजना भी दर्शाता है कि यह मुद्दा कितना गंभीर है और इसका समाधान तत्काल प्रभाव से किया जाना चाहिए। भाजपा की मांग और राष्ट्रपति द्वारा गृह मंत्रालय को भेजा गया ज्ञापन, दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना सकते हैं।
भविष्य की दिशा और संभावित प्रभाव
अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि का बढ़ना और भाजपा द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन की गंभीरता, दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। इस प्रकार के कानूनी और संवैधानिक विवादों का समाधान कैसे होगा, यह भविष्य में देखा जाएगा।
अगर दिल्ली सरकार पर किसी प्रकार की कार्रवाई की जाती है, तो इसका प्रभाव न केवल दिल्ली की राजनीति पर, बल्कि पूरे देश की राजनीतिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। यह भी संभावना है कि इस संकट के समाधान के लिए कई कदम उठाए जाएं, जिनमें संवैधानिक संशोधन, प्रशासनिक सुधार, और कानूनी बदलाव शामिल हो सकते हैं।
निष्कर्ष
अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत की अवधि में बढ़ोतरी और भाजपा द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन की गंभीरता ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना दिया है। इस मामले का समाधान केवल समय के साथ ही संभव होगा, लेकिन वर्तमान स्थिति यह दर्शाती है कि दिल्ली में राजनीतिक और संवैधानिक संकट गहराता जा रहा है।