Delhi news: दिल्ली बार काउंसिल के उपाध्यक्ष संजीव नासियार के खिलाफ बीसीआई (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। बीसीआई ने नासियार को उनके पद से तत्काल हटाने का निर्देश दिया है, इसके अलावा उनकी एलएलबी ऑनर्स डिग्री की प्रमाणिकता की जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आदेश दिए हैं। यह कदम दिल्ली बार काउंसिल के उपाध्यक्ष के खिलाफ हुई जांच में एलएलबी डिग्री से संबंधित गड़बड़ी और संभवतः धोखाधड़ी के मामले के बाद उठाया गया है।
बीसीआई की जांच और आदेश
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने 7 दिसंबर को हुई बैठक के बाद संजीव नासियार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया। बैठक के बाद बीसीआई द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है, “7 दिसंबर को हुई बैठक में यह तय किया गया कि देव अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर द्वारा दिल्ली बार काउंसिल के उपाध्यक्ष संजीव नासियार को दी गई एलएलबी डिग्री में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।” इस फैसले के पीछे 3 सितंबर 2024 को बनी एक उप-समिति द्वारा की गई जांच का परिणाम था, और दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों के बाद यह कदम उठाया गया है।
संजीव नासियार की एलएलबी डिग्री में गड़बड़ी
बीसीआई के आदेश के अनुसार, एक जांच में यह बात सामने आई कि संजीव नासियार की डिग्री से संबंधित रिकॉर्ड में महत्वपूर्ण और स्पष्ट विसंगतियाँ पाई गईं हैं। इंदौर के पीएमबी गुजराती आर्ट्स और लॉ कॉलेज की जांच में यह पता चला कि संबंधित समय में कॉलेज को एलएलबी ऑनर्स पाठ्यक्रम चलाने का अधिकार नहीं था। यह जानकारी बीसीआई के आदेश में स्पष्ट रूप से दर्ज की गई है।
बीसीआई के मुताबिक, जब पीएमबी गुजराती आर्ट्स और लॉ कॉलेज का निरीक्षण किया गया, तो यह पाया गया कि कॉलेज ने कानून की डिग्री देने के लिए अनुमति प्राप्त नहीं की थी। यह स्थिति संजीव नासियार की एलएलबी डिग्री की वैधता को संदेहास्पद बना देती है और इसके परिणामस्वरूप बीसीआई ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया।
संजीव नासियार की भूमिका
संजय नासियार , जो आम आदमी पार्टी (AAP) के कानूनी विंग से जुड़े हुए हैं, अब इस जांच का सामना करेंगे। उनका नाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उच्च पदाधिकारी के रूप में उभरा था, लेकिन अब उनकी डिग्री और संबंधित रिकॉर्ड में अनियमितताएँ सामने आने से उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं। उनके खिलाफ की जा रही इस जांच का उद्देश्य यह स्पष्ट करना है कि क्या उन्होंने जानबूझकर किसी प्रकार की धोखाधड़ी की या फिर वे अनजाने में इसके शिकार हुए हैं।
बीसीआई की कार्रवाई
बीसीआई ने संजीव नासियार के खिलाफ इस मामले में तीव्र कार्रवाई की योजना बनाई है। यह जांच न केवल नासियार की डिग्री की वैधता को स्पष्ट करने के लिए की जा रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई अन्य कानून से संबंधित उल्लंघन या धोखाधड़ी न हुई हो। बीसीआई का मानना है कि कानून के पेशे में ईमानदारी और पारदर्शिता बहुत महत्वपूर्ण हैं, और इस मामले में कोई भी अनियमितता भारतीय न्याय प्रणाली की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकती है।
बीसीआई ने यह भी कहा कि उन्हें संजीव नासियार की डिग्री के संबंध में जो भी परिणाम मिलेंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई उनके पद से हटने से लेकर, अगर गड़बड़ी साबित होती है तो कानूनी कार्रवाई तक हो सकती है।
AAP और राजनीति में प्रभाव
संजय नासियार के आम आदमी पार्टी (AAP) के कानूनी विंग से जुड़े होने के कारण इस मामले को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है। उनकी डिग्री में अनियमितताएँ सामने आने से न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर असर पड़ा है, बल्कि इससे AAP की छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह स्थिति पार्टी के लिए कठिन हो सकती है, क्योंकि पार्टी के नेताओं पर इस प्रकार के आरोपों से जनता में नकारात्मक संदेश जा सकता है।
आम आदमी पार्टी के कई नेता इस मामले पर अभी चुप्प हैं, जबकि विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह मामला AAP के भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था के प्रति उनके रवैये को उजागर करता है।
सीबीआई जांच
बीसीआई द्वारा सीबीआई से की गई जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संजीव नासियार की डिग्री में कोई धोखाधड़ी या अनियमितताएँ तो नहीं हैं। सीबीआई जांच में यह भी पता चलेगा कि क्या नासियार ने जानबूझकर किसी दस्तावेज को फर्जी बनाया है या फिर इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई है। अगर जांच में नासियार के खिलाफ सबूत मिलते हैं, तो उन्हें कड़ी सजा हो सकती है।
यह मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली और कानून के पेशे के लिए एक महत्वपूर्ण टेस्ट साबित हो सकता है। बीसीआई द्वारा संजीव नासियार के खिलाफ शुरू की गई जांच और सीबीआई से निर्देश प्राप्त करना यह दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पद पर हो, कानून से ऊपर नहीं होता। अगर जांच में नासियार की डिग्री में धोखाधड़ी साबित होती है, तो यह केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय न्यायिक तंत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनेगा।
इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी बहुत महत्वपूर्ण है, और इस प्रकार के मामलों में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि लोगों का विश्वास कानून और न्यायपालिका पर बना रहे।