Delhi: 29 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। यह दिन धनतेरस के दो दिन पहले दिल्ली में हुए बम धमाकों के कारण मना गया, जिसने दीवाली के त्योहार की खुशियों को छीन लिया। अक्टूबर का महीना दिल्ली में आमतौर पर त्योहारों का मौसम होता है। रामलीला की धूमधाम, दशहरे का उत्साह, धनतेरस पर खरीदारी, दिवाली की भव्यता, और फिर गोवर्धन पूजा और भाई दूज का त्यौहार। इन त्योहारों के चलते बाजार हमेशा भीड़-भाड़ से भरे रहते हैं।
2005 के बम धमाकों की खौफनाक रात
29 अक्टूबर 2005 को धनतेरस के दिन, दिल्ली के कई हिस्सों में बम धमाके हुए थे, जिससे शहर में हड़कंप मच गया। इस घटना में 60 लोग जान गंवाने के साथ-साथ 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। बम धमाके मुख्य रूप से तीन स्थानों – सरोजनी नगर, पहाड़गंज और कालकाजी में एक डीटीसी बस को निशाना बनाकर किए गए थे। इस आतंकवादी हमले ने कई परिवारों को तबाह कर दिया, और उस दिन का खौफनाक दृश्य आज भी कई दुकानदारों के जेहन में ताजा है।
सरोजनी नगर मार्केट के दुकानदारों की यादें
सरोजनी नगर मार्केट में काम कर रहे एक दुकानदार ने बताया कि वह 30 वर्षों से वहां दीवाली का सामान बेचते हैं और उस दिन को वह कभी नहीं भूल सकते। उनका कहना है, “बाजार में भारी भीड़ थी। जब धमाका हुआ, मैं अपनी मोमबत्ती की दुकान के पास था। अचानक एक तेज आवाज आई और चारों ओर अंधेरा छा गया। मुझे लगा कि दुकान की बत्ती फ्यूज हो गई है।” उन्होंने बताया कि धमाके में उनके सिर पर गंभीर चोट आई। जब वह होश में आए, तो उन्होंने देखा कि आसपास शवों के ढेर पड़े हुए थे।
उन यादों की गूंज
उस दिन का खौफनाक मंजर दुकानदारों के लिए एक भयावह सपना बन गया है। धमाके की आवाज, उसके बाद का अंधेरा, और उसके बाद का मंजर आज भी उनके मन में बसा हुआ है। एक अन्य दुकानदार ने कहा, “यह एक सामान्य दिन था, जब अचानक सब कुछ बदल गया। मैंने अपने सामने अपनों को खोया है, और यह यादें कभी नहीं भुला सकता।”
29 अक्टूबर की ऐतिहासिक घटनाएं
भारत के साथ-साथ दुनिया में 29 अक्टूबर को अन्य कई महत्वपूर्ण घटनाएं भी हुई हैं।
- 1911: प्रसिद्ध अमेरिकी संपादक और प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर का निधन।
- 1923: ओटोमन साम्राज्य के अंत की घोषणा के साथ तुर्की में संसदीय लोकतंत्र की मजबूती।
- 1929: अमेरिकी शेयर बाजार में लगभग 16 मिलियन शेयरों की बिक्री के कारण “ब्लैक मंगलवार” का आगाज़, जिसने ग्रेट डिप्रेशन को गहरा किया।
- 1956: इसरायली सेना ने सुएज़ नहर क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए मिस्र पर हमला किया।
- 1975: जनरल फ्रैंको के 35 वर्षों के शासन का अंत, क्राउन प्रिंस जुआन कार्लोस ने अस्थायी रूप से सत्ता संभाली।
- 1985: भारत को मुक्केबाजी में पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले विजेंदर सिंह का जन्म।
- 1999: ओडिशा में एक भयंकर चक्रवात के कारण हजारों लोग बेघर हुए और भारी जनहानि हुई।
- 2005: दीवाली की धूमधाम में डूबी दिल्ली के व्यस्त बाजारों में बम धमाकों की बौछार, जिसमें 60 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए।
- 2015: चीन ने एक बच्चे की नीति के अंत की घोषणा की।
- 2022: फिलीपींस में तूफान के कहर से 50 लोगों की मौत और कई लापता।
- 2022: सियोल में हैलोवीन के दौरान मची भगदड़ में 120 लोग मारे गए।
- 2023: केरल के कालामस्सेरी में एक क्रिश्चियन कम्युनिटी सम्मेलन केंद्र में विस्फोट से दो महिलाओं की मौत और 51 लोग घायल हुए।
दिल्ली में सुरक्षा की स्थिति
इस घटना ने न केवल सरोजनी नगर मार्केट के दुकानदारों को बल्कि पूरे दिल्लीवासियों को गहरे सदमे में डाल दिया। इसके बाद से बाजारों में सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए गए। पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती को बढ़ा दिया गया और संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त तेज कर दी गई। लेकिन फिर भी, उस दिन की यादें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
29 अक्टूबर का दिन एक काले अध्याय के रूप में जाना जाता है, जो दिल्ली की आम जनता की मानसिकता और सुरक्षा को प्रभावित करता है। आज भी, सरोजनी नगर मार्केट के दुकानदार उस भयावह घटना को याद करते हैं, जो उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलकर रख गई। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमें अपने आसपास की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और ऐसे घटनाओं के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
यही नहीं, यह हमें यह भी सिखाती है कि हम अपने जीवन में खुशियों और त्योहारों का जश्न मनाने के लिए भी सतर्क रहना चाहिए। आतंकवाद का यह सामना केवल सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हमें भी समाज के एक सदस्य के रूप में एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करना होगा।