PM Narendra Modi का जनजातीय कला और संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने में योगदान
PM Narendra Modi: भारत 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाएगा। यह दिन विशेष रूप से जनजातीय समाज की सम्मान और उनके सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनजातियों की असाधारण धरोहर को बढ़ावा देने के लिए हमेशा काम किया है, और उनकी सरकार ने जनजातीय संस्कृति के प्रति अपनी विशेष प्रतिबद्धता स्पष्ट की है। प्रधानमंत्री मोदी का जनजातीय समुदायों, उनकी कला, साहित्य, साहस और धरोहर के प्रति व्यक्तिगत संबंध वैश्विक मंचों पर निरंतर प्रस्तुत किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी का जनजातीय कला के प्रति दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान भारतीय जनजातीय समुदायों की असाधारण भूमिका को पहचानने में महत्वपूर्ण रहा है। प्रधानमंत्री ने हमेशा भारतीय जनजातीय संस्कृति और उनकी कलाओं को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रमुखता दी है। उनके प्रयासों के तहत, विभिन्न जनजातीय कला रूपों को दुनिया तक पहुँचाने का कार्य किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के कारण भारतीय जनजातीय कलाओं को वैश्विक पहचान मिल रही है, और इन्हें विदेशों में एक उपहार के रूप में सराहा जा रहा है।
जनजातीय कला को विदेशों में बढ़ावा
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारतीय जनजातीय कला को उपहार के रूप में विदेशों में भेजने से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिला है। उदाहरण के तौर पर, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कुक आइलैंड्स और टोंगा के नेताओं को डोकरा कला के शानदार हस्तशिल्प दिए गए। इसके अलावा, झारखंड की सोहलाई पेंटिंग रूस के राष्ट्रपति पुतिन को, मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा को, और महाराष्ट्र की वारली पेंटिंग उजबेकिस्तान और कोमोरोस के नेताओं को भेंट दी गई। इन कलाओं के माध्यम से भारतीय जनजातीय संस्कृति की वैश्विक पहचान मजबूत हो रही है।
जनजातीय उत्पादों को जीआई (GI) टैग मिलना
अब तक भारत के 75 से अधिक जनजातीय उत्पादों को जीआई (गैटेड इंडीकेशन) टैग मिल चुका है, जो उनके अद्वितीयता और गुणवत्ता को मान्यता देता है। जीआई टैग उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाता है और उनकी कीमत भी बढ़ाता है। ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातीय समुदायों की पारंपरिक कलाओं को एक ब्रांड बनाने का प्रयास किया है, ताकि उनके विपणन और बिक्री को बढ़ावा मिल सके। 2024 में असम की बांस की टोपी, ओडिशा की डोंगरिया कोंध शॉल, अरुणाचल प्रदेश का याक दूध से बना चूर्पी, ओडिशा का सिमलिपाल काई चटनी, और बोडो समुदाय का पारंपरिक अरोनाई कपड़ा जीआई टैग से नवाजा गया है।
जनजातीय परिवारों को वित्तीय सहायता
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने जनजातीय परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 2.18 लाख से अधिक कारीगर परिवारों को ट्राइफेड के माध्यम से एक लाख से अधिक जनजातीय उत्पाद बेचकर वित्तीय सहायता दी गई है। ‘ट्राइब्स इंडिया’ ब्रांड के तहत, जनजातीय कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर बेचने का अवसर मिला है। इससे न केवल जनजातीय कारीगरों को लाभ हुआ है, बल्कि उनकी कला को भी बढ़ावा मिला है।
बिरसा मुंडा के जन्मस्थल पर प्रधानमंत्री मोदी का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थल उलिहातू, झारखंड का दौरा किया। इस विशेष अवसर पर, श्री विजयापुरम स्थित वनवासी कल्याण आश्रम में बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके साथ ही, इन प्रतिमाओं को गौरव यात्रा के रूप में विभिन्न स्थानों पर ले जाया जाएगा, ताकि उनके योगदान को याद किया जा सके। यह कदम प्रधानमंत्री मोदी के जनजातीय समाज के प्रति सम्मान और योगदान को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
आदि महोत्सव और जनजातीय कारीगरों के लिए मंच
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर शुरू किए गए ‘आदि महोत्सव’ ने जनजातीय उद्यमिता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। 2017 से अब तक 37 आदि महोत्सवों में 1,100 से अधिक जनजातीय कारीगरों ने भाग लिया है। इस दौरान कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली, और उनकी कला को जी-20 समिट में भी सराहा गया। अराकू कॉफी का पहला जैविक कॉफी शॉप पेरिस में खोला गया, छत्तीसगढ़ का महुआ फूल फ्रांस में प्रसिद्ध हो रहा है, और अमेरिका में शॉल, पेंटिंग, लकड़ी के सामान, आभूषण और बास्केट की मांग बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री मोदी का योगदान: जनजातीय समाज के विकास में नई दिशा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जनजातीय धरोहर को संरक्षित करने और सम्मान देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित ‘जनजातीय गौरव दिवस’ ने जनजातीय समुदायों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान स्थापित की है। प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत भागीदारी और जनजातीय कलाओं को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयास भारतीय जनजातीय समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं। इससे न केवल जनजातीय समाज के आर्थिक विकास को गति मिल रही है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर भी संरक्षित और सम्मानित हो रही है।
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समाज को न केवल पहचान मिली है, बल्कि उनके कला और संस्कृति को वैश्विक मंचों पर मान्यता भी प्राप्त हो रही है, जो भारतीय जनजातीय समाज के लिए एक नई शुरुआत है।