Chhath Puja 2024: छठ पूजा का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल दीपावली के छह दिन बाद शुरू होता है, और लोग इसके लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस त्योहार का आयोजन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है, एक बार चैत्र मास में और दूसरी बार कार्तिक मास में। इनमें से कार्तिक मास की छठ पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस अवसर पर महिलाएं अपने बच्चों की सुख-शांति और लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं।
छठ पूजा का ऐतिहासिक संदर्भ
मान्यता के अनुसार, माता सीता ने त्रेतायुग में पहली बार छठ पूजा का आयोजन किया था। भगवान श्रीराम ने सूर्य नारायण की पूजा की थी। द्वापर में, दानवीर कर्ण और द्रौपदी ने भी सूर्य देव की आराधना की थी। इसके अतिरिक्त, राजा प्रियंवद से जुड़ी छठी मैया की पूजा की भी एक कहानी है, जो सबसे पहले छठी मैया की पूजा करने वाले माने जाते हैं। इस महापर्व के दौरान माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करती हैं। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं, जिसे सबसे कठिन व्रत माना जाता है।
छठ पूजा का समय और कार्यक्रम
छठ पूजा के कार्यक्रम का आरंभ हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होता है। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। दीपावली के बाद छठ पूजा के गीतों का माहौल बनना शुरू हो जाता है। इस बार छठ पूजा 5 नवंबर, 2024 से शुरू हो रही है, जब Nahai-Khai का आयोजन होगा।
नहाई-खाई: पहले दिन का कार्यक्रम
नहाई-खाई का अर्थ है स्नान करना और भोजन करना। इस दिन व्रति महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं। यदि यह संभव नहीं है, तो वे घर पर भी स्नान कर सकती हैं। इसके बाद, व्रति महिलाएं चावल, चना दाल और लौकी का प्रसाद बनाकर खाती हैं। इस बार नहाई-खाई 5 नवंबर, 2024 को मनाई जाएगी, जो मंगलवार है।
खरना: दूसरे दिन का महत्व
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं, जो इस बार 6 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन माताएं दिनभर उपवास करती हैं और पूजा के बाद खरना प्रसाद का सेवन करती हैं। खरना प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। यह दिन माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसके बाद वे 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ करती हैं।
पहला और दूसरा अर्घ्य: सूर्य देव को अर्घ्य देने का समय
छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का आयोजन किया जाता है, जहां भक्त नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस बार पहला अर्घ्य 7 नवंबर, 2024 को, यानी गुरुवार को दिया जाएगा। इसमें फलों, गन्ने, चावल के लड्डू, ठेकुआ आदि वस्तुओं को एक बांस की टोकरी में रखकर पूजा की जाती है।
छठ पूजा का अंतिम दिन 8 नवंबर, 2024 को होगा, जब दूसरा अर्घ्य सुबह के उगते सूर्य को अर्पित किया जाएगा। इस दिन भक्त अपना उपवास तोड़ते हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।
छठ पूजा का सामूहिक महत्व
छठ पूजा का त्योहार न केवल धार्मिक है, बल्कि यह समाज में एकता और सहयोग का प्रतीक भी है। इस अवसर पर पूरे परिवार और समुदाय के लोग एकत्र होते हैं और मिलकर पूजा-पाठ करते हैं। यह पर्व नारी शक्ति और मातृत्व का भी प्रतीक है, क्योंकि महिलाएं इस अवसर पर अपनी संतान के स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए व्रत करती हैं।
छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है, जो धार्मिक आस्था और लोक परंपराओं को जोड़ता है। यह पर्व न केवल व्यक्तिगत आराधना का अवसर है, बल्कि समाज के समर्पण, प्रेम और एकता का भी प्रतीक है। इस बार छठ पूजा के कार्यक्रमों के साथ, भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि छठ पूजा का महत्व सदियों से बना हुआ है और आने वाले वर्षों में भी रहेगा।