Bihar के सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब बदलने जा रहा है। यह स्टेशन जो मालदा डिवीजन के तहत आता है, अब अजगैबीनाथ नाम से जाना जाएगा। यह नाम परिवर्तन बिहार सरकार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने किया है। उन्होंने इस बदलाव की घोषणा पटना में आयोजित ‘बोल बम कावंडिया सेवा सम्मान समारोह’ के दौरान की। सम्राट चौधरी ने कहा कि वह रेल मंत्री से मुलाकात करेंगे और जल्द ही इस कार्य को पूरा कराएंगे।
सुलतानगंज का नाम क्यों बदला जाएगा?
सुलतानगंज का नाम बदलकर अजगैबीनाथ धाम करने का प्रस्ताव पहले ही स्थानीय नगर निगम द्वारा जून महीने में पास किया जा चुका है। इसके बाद राज्य सरकार और शहरी विकास विभाग को इस बारे में पत्र लिखा गया था। स्थानीय लोगों, जूना अखाड़ा समिति के महंत, और पंडा समुदाय द्वारा लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अजगैबीनाथ धाम किया जाए।
सुलतानगंज का ऐतिहासिक महत्व
सुलतानगंज बिहार के भागलपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह स्थान खासकर श्रावणी मेला के लिए प्रसिद्ध है, जो हर साल सावन के महीने में आयोजित होता है। इस मेले में लाखों की संख्या में शिवभक्त और कांवड़िये यहां आते हैं, और गंगा जल लेकर भोले बाबा के जलाभिषेक के लिए जाते हैं। सुलतानगंज में स्थित अजगैबीनाथ धाम, भगवान शिव का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
इतिहास में सुलतानगंज को पहले ‘हिरण्यपुरी’ या ‘अजगैबीनाथ धाम’ के नाम से जाना जाता था। यहां बौद्ध विहारों का अस्तित्व था, लेकिन बाद में मुघल शासकों ने इसका नाम बदलकर सुलतानगंज कर दिया। सुलतानगंज में स्थित अजगैबीनाथ धाम उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे स्थित है, और यहां हर साल शिवभक्तों का जमावड़ा लगता है। श्रावण मास के दौरान, इस क्षेत्र में शिवभक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है, जो ‘बोलबम’ के नारे लगाते हुए अपने भक्तिपूर्ण कार्यों को अंजाम देते हैं।
सुलतानगंज से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
अजगैबीनाथ धाम की धार्मिक महत्वता बहुत ज्यादा है। यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि यहां भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अजगैबीनाथ धाम के आसपास कई धार्मिक घटनाएं घटी थीं, जो इस स्थान को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। यहां की शांति और श्रद्धा के वातावरण में लोग अपने मानसिक और शारीरिक शांति के लिए आते हैं।
शिव भक्तों का मानना है कि यहां गंगा जल लेकर जलाभिषेक करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसी वजह से, हर साल सावन के महीने में लाखों की संख्या में कांवड़िये इस स्थान पर आते हैं।
नाम परिवर्तन का समर्थन
सुलतानगंज रेलवे स्टेशन के नाम परिवर्तन के पक्ष में स्थानीय लोग और धार्मिक संगठन लंबे समय से आवाज उठा रहे थे। स्थानीय नागरिकों का कहना था कि नाम परिवर्तन से इस स्थान की धार्मिक पहचान और भी मजबूत होगी। इसके अलावा, इससे सुलतानगंज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मान मिलेगा।
सुलतानगंज का नाम बदलकर अजगैबीनाथ धाम किए जाने से इस स्थान के महत्व में और वृद्धि हो सकती है। यह नाम परिवर्तन न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय बन सकता है।
बिहार सरकार का कदम
बिहार सरकार ने हमेशा धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब जब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने इस नाम परिवर्तन की घोषणा की है, तो इससे राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक छवि को एक नई पहचान मिलेगी।
सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि वह रेल मंत्री से जल्द ही मुलाकात करेंगे और इस नाम परिवर्तन के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। सरकार की यह पहल राज्य में धर्म, संस्कृति और इतिहास को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सुलतानगंज के नाम बदलने का असर
सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक नई पहचान मिलेगी। इसके अलावा, इस बदलाव से पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। अजगैबीनाथ धाम के नाम से इस क्षेत्र को एक अलग पहचान मिलेगी, और लोग इस स्थान की ओर अधिक आकर्षित होंगे।
नाम परिवर्तन से यहां के स्थानीय व्यापारियों को भी लाभ हो सकता है। जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे होटल, रेस्टोरेंट और अन्य व्यापारिक गतिविधियों में भी वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही, इस स्थान का धार्मिक पर्यटन को भी एक नया आयाम मिलेगा।
बिहार के सुलतानगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अजगैबीनाथ धाम किए जाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए एक नई पहचान का संकेत भी होगा। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का यह निर्णय राज्य सरकार की धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता है। अब देखना यह होगा कि रेलवे मंत्रालय इस फैसले को कितनी जल्दी लागू करता है, और बिहार के इस ऐतिहासिक स्थल को नई पहचान मिलती है।