Bihar: राबड़ी देवी ने उठाई मिथिला को राज्य का दर्जा देने की मांग, राजनीति में नया विवाद
Bihar की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक ऐसी मांग उठाई है, जो बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर सकती है। राबड़ी देवी ने कहा है कि बिहार के मिथिला क्षेत्र को राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। यह बयान उन्होंने बुधवार को संविधान के मैथिली भाषा में अनुवाद के अवसर पर दिया। आपको बता दें कि इससे पहले भी मिथिलांचल राज्य की मांग कई बार उठ चुकी है, लेकिन राबड़ी देवी के इस बयान के बाद इस मांग को एक नई ताकत मिल सकती है।
राबड़ी देवी का बयान क्या था?
बिहार विधान परिषद में सत्ताधारी NDA गठबंधन के नेता केंद्रीय सरकार का आभार व्यक्त कर रहे थे, जिन्होंने मैथिली भाषा को सम्मान दिया है। इस दौरान विपक्ष की नेता राबड़ी देवी ने कहा कि मिथिला को एक अलग राज्य बनाना चाहिए। राबड़ी देवी ने कहा कि जहां सदस्य केंद्रीय सरकार और पीएम मोदी की संविधान के अनुवाद को लेकर सराहना कर रहे थे, वहीं हमें इससे ज्यादा ठोस कदम की जरूरत है।
राबड़ी देवी का यह बयान एक महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि यह पहली बार है जब बिहार की एक प्रमुख नेता, जो मिथिला क्षेत्र से नहीं आतीं, ने इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग की है। इससे पहले इस तरह की मांग सिर्फ मिथिला क्षेत्र के नेताओं और नागरिकों द्वारा की जाती रही है।
राबड़ी देवी का बयान क्यों है खास?
राबड़ी देवी का बयान इसलिए खास है क्योंकि यह एक ऐसे समय में आया है जब मिथिला क्षेत्र के लिए अलग राज्य बनाने की मांग फिर से चर्चा में है। खास बात यह है कि राबड़ी देवी का यह बयान उनके पति और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के विचारों से बिल्कुल विपरीत है। लालू यादव ने एक बार झारखंड राज्य की मांग के खिलाफ कड़ा विरोध किया था और कहा था कि वह अपनी जान दे देंगे, लेकिन बिहार से कोई हिस्सा नहीं अलग होने देंगे। हालांकि, बाद में कांग्रेस के दबाव में उन्हें झारखंड राज्य के गठन के लिए सहमति देनी पड़ी थी।
राबड़ी देवी का यह बयान एक तरह से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, क्योंकि यह राज्य को बांटने की दिशा में एक गंभीर कदम हो सकता है। हालांकि, यह देखने वाली बात होगी कि इस मुद्दे पर उनके राजनीतिक सहयोगी और विरोधी क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
मिथिला कहां बोली जाती है?
मैथिली भाषा को लेकर हाल ही में बिहार सरकार ने केंद्रीय सरकार को पत्र लिखकर इस भाषा को ‘क्लासिकल भाषा’ का दर्जा देने की मांग की थी। मैथिली भाषा न केवल बिहार के मिथिला क्षेत्र में बोली जाती है, बल्कि यह नेपाल के कुछ हिस्सों में भी प्रचलित है। मिथिला क्षेत्र में बसा यह इलाका बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, और यहां के लोग मैथिली भाषा के अलावा भोजपुरी और अन्य क्षेत्रीय भाषाएं भी बोलते हैं।
मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और भाषा को लेकर यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, क्योंकि इससे मिथिला के लोगों की पहचान को एक नए स्तर पर सम्मान मिल सकता है। राबड़ी देवी द्वारा राज्य गठन की मांग इस संदर्भ में महत्व रखती है क्योंकि यह क्षेत्र की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत कर सकती है।
मिथिला राज्य की मांग का इतिहास
मिथिला राज्य की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। इसका मुख्य कारण इस क्षेत्र की अपनी एक विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई पहचान है। मिथिला क्षेत्र की भूमि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, जहां कई प्राचीन काल के विद्वान और राजा-महाराजा रहे हैं। मिथिला राज्य के समर्थक इसे एक सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में देखना चाहते हैं।
इस मांग के पीछे यह तर्क है कि मिथिला क्षेत्र की पहचान और विकास को एक स्वतंत्र राज्य से अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। लोग मानते हैं कि अगर मिथिला को राज्य का दर्जा दिया जाता है तो इस क्षेत्र के लोग अपने सांस्कृतिक और आर्थिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकेंगे।
राबड़ी देवी के बयान का राजनीतिक असर
राबड़ी देवी के बयान का राजनीतिक असर काफी गहरा हो सकता है। यह बिहार की राजनीति में एक नई दिशा दे सकता है, क्योंकि यह राज्य में सत्ता के बंटवारे और क्षेत्रीय असंतोष को उजागर कर सकता है। बिहार में पहले से ही अलग-अलग क्षेत्रीय पहचान को लेकर आंतरिक तनाव हैं। मिथिला को एक अलग राज्य का दर्जा मिलने की मांग से अन्य क्षेत्रीय पहचान की मांगें भी उठ सकती हैं, जैसे मगध, भोजपुर, या अंग क्षेत्र के लोग भी अपनी अलग पहचान के लिए आवाज उठा सकते हैं।
इसके अलावा, राबड़ी देवी के बयान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को भी एक नई चुनौती दी है। अगर यह मुद्दा बढ़ता है तो बिहार के सत्ताधारी गठबंधन के अंदर भी मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य
राबड़ी देवी के इस बयान पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं। उनके समर्थक इसे एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम मान सकते हैं, जबकि उनके विरोधी इसे बिहार को बांटने की साजिश के रूप में देख सकते हैं। बिहार की सत्ताधारी पार्टी JDU और भाजपा भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकती है।
इसके अलावा, विपक्षी पार्टियां जैसे RJD, कांग्रेस, और अन्य छोटे दल इस मुद्दे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मुद्दे पर आने वाले समय में बिहार की राजनीति में काफी हलचल मच सकती है, क्योंकि यह एक संवेदनशील और जटिल मामला है।
राबड़ी देवी का यह बयान बिहार में राजनीति की नई दिशा की ओर इशारा करता है। मिथिला को एक अलग राज्य का दर्जा देने की मांग राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को लेकर उठाई गई एक महत्वपूर्ण मांग है, जो राज्य के भीतर नए विवादों को जन्म दे सकती है। हालांकि, इस मुद्दे पर आने वाले समय में और भी बयानबाजी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं, जो बिहार की राजनीति को एक नई दिशा में मोड़ सकती हैं।