Bihar: जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को एक चुनावी सभा के दौरान राजद अध्यक्ष लालू यादव पर करारा तंज कसा। उन्होंने कहा कि लालू यादव का मुसलमानों के बीच प्रभाव अब खत्म होने की ओर है। प्रशांत किशोर ने यह बयान बेलगंज विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव के संदर्भ में दिया, जहां वह अपनी पार्टी जन सुराज के उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटा रहे थे।
प्रशांत किशोर का आरोप था कि लालू यादव ने मुसलमानों को अपनी राजनीति का तेल बनाया था, लेकिन अब वह तेल खत्म हो चुका है और बाती सूख रही है। इस बयान के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। आइए जानते हैं प्रशांत किशोर के इस बयान के पीछे की पूरी कहानी और क्या है बेलगंज विधानसभा की अहमियत इस चुनावी दृष्टिकोण से।
प्रशांत किशोर ने क्यों किया यह तंज?
बेलगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव के मद्देनजर प्रशांत किशोर ने यह बयान दिया। उनका कहना था, “आप लोग मुझे श्रेय दें कि मैंने वह शख्स जो 35 साल तक आपको डराता रहा, अब उसकी सोच भी साफ नहीं रही है।” वह यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि लालू यादव का राजनीतिक प्रभाव अब कमजोर हो चुका है। प्रशांत किशोर ने आगे कहा, “जो व्यक्ति मुसलमानों को लालटेन के तेल के रूप में इस्तेमाल करता था, अब उसे यह महसूस हो रहा है कि उसका तेल खत्म हो चुका है और अब बाती भी सूख रही है।”
प्रशांत किशोर के इस तंज से यह स्पष्ट हुआ कि वह लालू यादव के मुसलमानों के बीच पकड़ को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उनके मुताबिक, अब लालू यादव की राजनीतिक रणनीति कमजोर पड़ चुकी है, क्योंकि वह जिस समुदाय के समर्थन पर अपनी पार्टी का आधार बनाए हुए थे, वह अब धीरे-धीरे उससे दूर हो रहा है।
बेलगंज उपचुनाव का संदर्भ
बेलगंज विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर अब राजनीतिक पार्टियों की हलचल तेज हो गई है। इस सीट पर चुनावी मुकाबला अब दिलचस्प हो गया है, क्योंकि यहां राजद और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अलावा प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी मैदान में है। प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में समाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद अमजद को उतारा है, ताकि मुस्लिम समुदाय का समर्थन प्राप्त किया जा सके।
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में कहा, “आज से 35 साल पहले जिनसे आप डरते थे, वह आज अपनी सोच नहीं बदल पा रहे हैं।” उनका यह बयान नीतीश कुमार और लालू यादव की जुगलबंदी पर सवाल उठाने के रूप में देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार पर भी निशाना
प्रशांत किशोर ने सिर्फ लालू यादव पर ही नहीं, बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार के किसानों और जमींदार जातियों के हितों पर सबसे बड़ा हमला किया है, और यह हमला भूमि सर्वे के रूप में हुआ है। उनका आरोप था कि भूमि सर्वे के तहत महिलाओं से हस्ताक्षर लेने की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा सकता है, जिससे किसानों और जमींदारों को उनके भूमि अधिकारों से वंचित किया जा सकता है।
प्रशांत किशोर ने कहा, “भूमि सर्वे के लिए आपको लंबी शादी हो चुकी महिलाओं के हस्ताक्षर की जरूरत होगी, ताकि यह साबित किया जा सके कि आप असली भूमि मालिक हैं। यह कदम भविष्य में आपकी भूमि को छीनने का कारण बन सकता है।”
जन सुराज पार्टी का चुनावी अभियान
जन सुराज पार्टी ने बेलगंज विधानसभा सीट के अलावा बिहार के तीन अन्य विधानसभा सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे हैं। इन चुनावों में पार्टी का मुख्य उद्देश्य बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाना और जनता को एक वैकल्पिक राजनीति का विकल्प देना है। बेलगंज में हुए उपचुनाव के दौरान जन सुराज पार्टी की ओर से मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में करने की रणनीति भी देखने को मिल रही है।
प्रशांत किशोर की रणनीति इस बार अलग है, क्योंकि वह जमीनी स्तर पर मुसलमानों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और लालू यादव के राजनीतिक गठबंधन ने बिहार की जमींदारी और किसान समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचाया है, और यह समय है जब बिहार की जनता इस गठबंधन को नकारे।
उपचुनाव का महत्व और राजनीतिक भविष्य
बेलगंज विधानसभा उपचुनाव बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल एक सीट का चुनाव नहीं है, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करने वाला हो सकता है। अगर जन सुराज पार्टी को यहां सफलता मिलती है, तो यह प्रशांत किशोर के लिए बड़ी जीत साबित हो सकती है, और बिहार में उनकी पार्टी को एक नया राजनीतिक आयाम मिल सकता है।
इस चुनाव में राजद और जेडीयू के उम्मीदवारों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है, वहीं जन सुराज पार्टी अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। प्रशांत किशोर की राजनीतिक समझ और उनकी चुनावी रणनीतियां इस चुनाव में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं, क्योंकि उन्होंने पहले ही नीतीश कुमार और लालू यादव के गठबंधन को चुनौती देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
प्रशांत किशोर का यह तंज, ‘लालटेन का तेल खत्म हो चुका है और बाती सूख रही है’, न केवल बिहार की वर्तमान राजनीति पर सवाल उठा रहा है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे वह लालू यादव की राजनीति को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। इस चुनावी माहौल में जन सुराज पार्टी का उभरता हुआ प्रभाव बिहार की राजनीति के लिए एक नई दिशा का संकेत हो सकता है।