Bihar के तिरहुत स्नातक विधान परिषद उपचुनाव के निर्दलीय उम्मीदवार और सक्रिय बीजेपी कार्यकर्ता राजेश रोशन का रविवार सुबह हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया। इस घटना के बाद उनके परिवार में मातम छा गया है। राजेश रोशन ने 15 नवंबर को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था। वह बीजेपी और एनडीए से टिकट मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया।
पूजा के दौरान हुआ हादसा
रविवार सुबह राजेश रोशन अपने घर पर स्नान करने के बाद पूजा कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा। परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया। परिवार के सदस्यों ने बताया कि वह पूजा समाप्त करने के बाद सकरा जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी यह हादसा हुआ।
बीजेपी और समाजिक संगठनों ने जताया शोक
राजेश रोशन के निधन पर बीजेपी और अन्य सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। कई बीजेपी नेताओं ने इसे पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया। स्थानीय लोगों ने कहा कि राजेश एक सक्रिय और संघर्षशील नेता थे, जिन्होंने हमेशा समाज के लिए काम किया।
तिरहुत स्नातक क्षेत्र का चुनावी परिदृश्य
तिरहुत स्नातक क्षेत्र की यह सीट पहले सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के पास थी। उनके लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण यह सीट खाली हुई और उपचुनाव हो रहा है। नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 18 नवंबर तक जारी रहेगी। 21 नवंबर नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है, जबकि मतदान 5 दिसंबर को होगा और मतगणना 9 दिसंबर को की जाएगी।
चुनाव प्रक्रिया स्थगित नहीं होगी, नियम क्या कहते हैं?
चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद किसी उम्मीदवार की मृत्यु होने पर चुनाव स्थगित करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में तिरहुत स्नातक क्षेत्र का उपचुनाव तय समय पर ही पूरा किया जाएगा।
एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज के बीच मुकाबला
एनडीए ने इस सीट पर जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक कुमार झा को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, महागठबंधन की ओर से आरजेडी के गोपी किशन चुनाव लड़ रहे हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी इस चुनाव में सक्रिय है और उसने डॉ. विनायक गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया है। डॉ. गौतम के पिता राम कुमार सिंह इस क्षेत्र से तीन बार एमएलसी रह चुके हैं, लेकिन पिछली बार उन्हें देवेश चंद्र ठाकुर ने हराया था।
चुनावी माहौल में शोक की लहर
राजेश रोशन के अचानक निधन से चुनावी माहौल में शोक की लहर दौड़ गई है। लोग इस घटना को एक सक्रिय और संघर्षशील नेता की राजनीतिक दुनिया से विदाई मान रहे हैं। हालांकि, इस हादसे का चुनावी प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और मतदान तय कार्यक्रम के अनुसार होगा।
चुनावी समीकरण पर प्रभाव
राजेश रोशन के निधन के बाद चुनावी समीकरण में कुछ बदलाव की संभावना है। उनके समर्थक अब अन्य उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन कर सकते हैं। इससे तिरहुत स्नातक क्षेत्र में एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज के बीच त्रिकोणीय मुकाबला और रोचक हो गया है।
राजनीतिक दृष्टिकोण और भविष्य
तिरहुत स्नातक क्षेत्र के इस उपचुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का जनादेश किसके पक्ष में जाता है। राजेश रोशन की मृत्यु के बाद चुनावी प्रक्रिया तेज हो गई है, लेकिन जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनेगी, यह 9 दिसंबर को मतगणना के बाद ही स्पष्ट होगा।
राजेश रोशन का असमय निधन बिहार की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है। तिरहुत स्नातक क्षेत्र का उपचुनाव अब एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज के बीच एक त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रहा है। यह उपचुनाव सिर्फ राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का नहीं, बल्कि समाज के लिए नई दिशा तय करने का भी मौका है।