Bihar by-election: भोजपुर के तरारी विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, इस क्षेत्र से अब तक कोई महिला विधायक नहीं बन पाई है। जबकि यहां की महिला मतदाता संख्या पुरुष मतदाताओं के बराबर या लगभग आधी है, फिर भी महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व काफी कम है।
महिलाओं की संख्या और स्थिति
भोजपुर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों जैसे आरा, बरहरा, शाहपुर, संडेेश, सहार, और पीरो में कई बार महिलाओं ने चुनाव जीतकर विधायक बनने का गौरव हासिल किया है। लेकिन नए परिसीमन के बाद से तरारी विधानसभा क्षेत्र में कोई भी महिला विधायक बनने में सफल नहीं हुई है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाओं ने यहां विधायक बनने के लिए प्रयास किए हैं, लेकिन तीन विधानसभा चुनावों में उनकी कोशिशें असफल रही हैं। 2010, 2015, और 2020 के चुनावों में महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमायी, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहे। अब इस उपचुनाव में महिलाओं के विधायक बनने की संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कितनी महिला उम्मीदवार किसी पार्टी या स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरती हैं।
2015 के चुनाव में गीता ने किया था जोरदार मुकाबला
हालांकि, यह कहना गलत होगा कि तरारी विधानसभा क्षेत्र में महिला उम्मीदवारों ने चुनाव जीतने के लिए कोशिश नहीं की। 2015 के विधानसभा चुनाव में गीता पांडे ने सुधामा प्रसाद को कड़ी टक्कर दी थी। गीता पांडे ने 43,778 मत प्राप्त किए, जबकि सुधामा प्रसाद ने मुश्किल से 272 मतों से जीत दर्ज की, और उन्हें कुल 44,050 वोट मिले। इस चुनाव में महिला उम्मीदवार ने जबर्दस्त मुकाबला किया, जिससे पूरे जिले में यह संदेश गया कि महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं।
तरारी से अब तक सफल पुरुष उम्मीदवार
तरारी विधानसभा क्षेत्र से अब तक जो पुरुष उम्मीदवार सफल हुए हैं, उनमें शामिल हैं:
- 2010: सुनील पांडे
- 2015: सुधामा प्रसाद
- 2020: सुधामा प्रसाद
तरारी विधानसभा का चुनाव डेटा
- कुल मतदाता: 3,08,907
- पुरुष मतदाता: 1,63,278
- महिला मतदाता: 1,45,625
- तीसरे लिंग के मतदाता: 04
- दिव्यांग मतदाता: 3,108
- 85 वर्ष से अधिक के मतदाता: 2,550
- सेवा मतदाता: 1,913
राजनीतिक प्रतिनिधित्व का महत्व
यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि जबकि महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के लगभग बराबर है, फिर भी उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व शून्य है। समाज में महिलाओं की भागीदारी और अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें राजनीतिक मंच पर उचित स्थान मिले। यदि महिला उम्मीदवार इस बार चुनाव में भाग लेती हैं, तो यह संभावित रूप से राजनीतिक बदलाव का संकेत हो सकता है।