Sambhal: संभल जिले में 24 नवम्बर को हुई हिंसा के बाद जिले में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े कदम उठाए गए हैं। जिले में शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन ने अब 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिला मजिस्ट्रेट राजेन्द्र पेसीया ने कहा, “अब तक जो भी व्यक्ति, कोई सामाजिक संगठन या सार्वजनिक प्रतिनिधि जिले की सीमा में प्रवेश करना चाहता है, उसे सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” इस कदम से प्रशासन का उद्देश्य शांति बनाए रखना और किसी भी तरह की अप्रिय घटना को टालना है।
समाजवादी पार्टी के नेताओं को जाने से रोका
इसी बीच समाजवादी पार्टी के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल संभल जाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोका। समाजवादी पार्टी ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि, “संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए बने समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के नेताओं के घरों के बाहर पुलिस तैनात करना और उन्हें जाने से रोकना अत्यंत निंदनीय और अव्यवस्थापूर्ण है। भाजपा सरकार संभल की हिंसा के मामले को छिपाने की कोशिश कर रही है।” पार्टी ने मांग की कि प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की अनुमति दी जाए ताकि हिंसा के कारणों की सही जानकारी मिल सके।
कांग्रेस का भी संभल जाने का ऐलान
इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी संभल जाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा, “हमारी एक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल 2 दिसंबर को संभल जाएगा और वहां की स्थिति की जानकारी प्राप्त करेगा।” इसी दौरान, कांग्रेस नेता माता प्रसाद पांडे ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर कहा, “गृह सचिव संजय प्रसाद ने मुझे फोन करके संभल जाने से रोकने का अनुरोध किया। संभल के जिला मजिस्ट्रेट ने भी मुझसे संपर्क किया और बताया कि जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। अब मैं पार्टी कार्यालय जाकर इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा।”
सर्वे के दौरान हुई हिंसा
गौरतलब है कि 19 नवम्बर को संभल में पहली बार कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था। इसके बाद से इलाके में तनाव की स्थिति बन गई थी। 24 नवम्बर को जब पुनः सर्वे किया जा रहा था, तब मस्जिद के पास हिंसा भड़क गई, जिसमें पथराव हुआ और इस घटना में चार लोग मारे गए, जबकि 25 लोग घायल हो गए। घटना के बाद से ही जिले में स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई है।
कोर्ट का आदेश और हिंसा का कारण
यह हिंसा उस याचिका के परिणामस्वरूप हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि जिस स्थान पर जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले एक हरिहर मंदिर हुआ करता था। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और सर्वे का आदेश दिया, जिसके बाद यह हिंसा हुई। अब प्रशासन का कहना है कि हिंसा के कारणों की जांच जारी है और शांति बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंधित
जिले में शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह कदम जिले की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इससे पहले, प्रशासन ने हिंसा की स्थिति को काबू करने के लिए जिले में कर्फ्यू भी लगाया था और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया था।
अधिकारियों का बयान
इस घटना पर अधिकारियों ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है और बाहरी व्यक्तियों के जिले में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय शांति बनाए रखने के लिए लिया गया है। जिले में पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है, और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में स्थिति को लेकर निगरानी और कड़ी की जाएगी।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस प्रतिबंध के कदम को लेकर प्रशासन की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है और सरकार सही तरीके से मामले की जांच करने के बजाय विपक्षी दलों को दबाने की कोशिश कर रही है। इन दलों ने सरकार से मांग की है कि हिंसा के मामले में निष्पक्ष जांच की जाए और विपक्षी नेताओं को संभल जाने की अनुमति दी जाए ताकि वे मामले की सच्चाई जान सकें।
संभल में स्थिति को लेकर प्रशासन की तैयारी
संभल जिले में हालात सामान्य करने के लिए प्रशासन ने पहले ही कड़े कदम उठाए हैं। जिले में पुलिस बल को और अधिक तैनात किया गया है और संवेदनशील इलाकों में पैट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। अधिकारियों ने यह भी कहा है कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए उन्हें पूरी तैयारी है।
संभल में हिंसा के बाद प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। बाहरी व्यक्तियों का जिले में प्रवेश 10 दिसंबर तक प्रतिबंधित कर दिया गया है, जबकि प्रशासन हिंसा के कारणों की जांच कर रहा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस कदम की आलोचना की है और आरोप लगाया है कि सरकार मामले को छिपाने की कोशिश कर रही है। इस पूरे मामले में अब तक कोई और अप्रिय घटना नहीं हुई है, लेकिन प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के चलते इलाके में शांति बनी हुई है।