Ola Electric की मनमानी नहीं चलेगी, ग्राहकों की शिकायतों के बाद सरकार ने उठाया यह कदम
Ola Electric के खिलाफ ग्राहकों से मिल रही शिकायतों को लेकर सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला इलेक्ट्रिक द्वारा निर्मित इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और सेवाओं में कथित ‘खामियों’ से संबंधित शिकायतों की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। CCPA की अध्यक्ष निधि खरे के नेतृत्व में, जांच के लिए निदेशक जनरल (जांच) को निर्देश दिए गए हैं। यह आदेश 6 नवंबर को जारी किया गया था और BIS (भारतीय मानक ब्यूरो) के निदेशक जनरल से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
10,000 से अधिक शिकायतों के बाद सरकार का कदम
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने नोटिस का जवाब दिया है, लेकिन अब CCPA ने निदेशक जनरल (जांच) से इस मामले की गहन जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। यह कदम CCPA द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर 10,000 से अधिक शिकायतें प्राप्त होने के बाद उठाया गया है। 7 अक्टूबर को CCPA ने ओला इलेक्ट्रिक को नोटिस जारी किया था, जिसमें कंपनी पर उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापन और व्यापारिक नीतियों का आरोप लगाया गया था। ओला इलेक्ट्रिक ने 21 अक्टूबर को नोटिस का जवाब दिया और दावा किया कि उसने 10,644 में से 99.1 प्रतिशत शिकायतों का समाधान कर दिया है।
ओला इलेक्ट्रिक का बाजार हिस्सेदारी में गिरावट
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में ओला इलेक्ट्रिक की इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में हिस्सेदारी 49 प्रतिशत थी, जो कंपनी का अब तक का सर्वोत्तम आंकड़ा था। लेकिन इसके बाद से कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आई है। जुलाई 2024 में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 39 प्रतिशत थी, जो अगस्त में घटकर 31 प्रतिशत हो गई। इस गिरावट का सिलसिला सितंबर 2024 तक जारी रहा, जब कंपनी की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से घटकर 27 प्रतिशत तक पहुंच गई। इस स्थिति का फायदा ओला इलेक्ट्रिक के प्रतिद्वंद्वी कंपनियों जैसे ऐथर, टीवीएस, बजाज और हीरो को पूरी तरह से मिल रहा है।
ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में भारी गिरावट
हाल ही में ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ बाजार में लिस्ट हुआ था। ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ 2 अगस्त को खुला था और 6 अगस्त को बंद हुआ था। कंपनी ने इस आईपीओ के तहत 76 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर शेयर आवंटित किए थे। कंपनी 9 अगस्त को बाजार में सूचीबद्ध हुई और पहले ही दिन कंपनी के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखा गया। ओला इलेक्ट्रिक के शेयर 20 अगस्त को एनएसई पर 157.40 रुपये तक पहुंचे थे। लेकिन इसके बाद से कंपनी के शेयरों में लगातार गिरावट आई है। 14 नवम्बर को ओला इलेक्ट्रिक का शेयर मूल्य 70.12 रुपये तक गिर चुका था।
ग्राहकों की बढ़ती शिकायतें और कंपनी की मुश्किलें
ओला इलेक्ट्रिक को लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। कई ग्राहकों ने आरोप लगाया है कि कंपनी की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में गुणवत्ता की कमी है, जबकि कुछ ने सेवाओं में सुधार की मांग की है। इन शिकायतों में सर्विस सेंटर की कमियां, वाहनों की बैटरी और अन्य तकनीकी समस्याओं का जिक्र है। इसके अलावा, कंपनी के द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद, उपभोक्ताओं को समय पर समाधान नहीं मिल रहा है, जिसके कारण उपभोक्ताओं के बीच गुस्सा बढ़ रहा है।
क्या ओला इलेक्ट्रिक की मुश्किलें बढ़ेंगी?
सीसीपीए के आदेश के बाद अब ओला इलेक्ट्रिक के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कंपनी को अपनी सेवाओं और उत्पादों में सुधार करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ेगा, साथ ही उसे अपने ग्राहकों की शिकायतों का समाधान भी करना होगा। यदि जांच के दौरान कंपनी के खिलाफ कोई गंभीर खामियां सामने आती हैं, तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है। ओला इलेक्ट्रिक को इस चुनौती का सामना करते हुए अपने उत्पादों की गुणवत्ता और ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने की आवश्यकता होगी।
ओला इलेक्ट्रिक की स्थिति वर्तमान में काफी चुनौतीपूर्ण है। ग्राहक शिकायतों, बाजार हिस्सेदारी में गिरावट और शेयरों में लगातार गिरावट ने कंपनी को संकट में डाल दिया है। ऐसे में अब सरकार का कदम ओला इलेक्ट्रिक के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इस मामले में जांच रिपोर्ट के बाद आने वाली कार्रवाई कंपनी के भविष्य की दिशा तय करेगी। OLA को अपनी रणनीतियों को लेकर पूरी तरह से पारदर्शी और ग्राहकों के पक्ष में खड़ा होना होगा, ताकि वह अपने ब्रांड की विश्वसनीयता को फिर से हासिल कर सके।