Delhi में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भारत टीवी से बात करते हुए स्पष्ट किया कि अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच कोई गठबंधन नहीं होगा। उनका कहना था कि आम आदमी पार्टी ने पिछले 11 वर्षों में दिल्ली के साथ अन्याय किया है, और इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी शामिल है।
कांग्रेस अकेले लड़ेगी आगामी विधानसभा चुनाव
यह बयान कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा है। उन्होंने पहले भी यह कहा था कि कांग्रेस आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उनका यह भी कहना था कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए था, और अब कांग्रेस इस गठबंधन को खत्म कर रही है।
यादव ने यह भी बताया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बड़ी बढ़ोतरी के बाद कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है। यही कारण है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि दिल्ली में लोग अब बदलाव चाहते हैं, और कांग्रेस इस बदलाव के प्रतीक के रूप में उभरने जा रही है।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत का प्रभाव
आइए जानते हैं कि दिल्ली में 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस ने तीन सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। लेकिन, जैसे 2019 में हुआ था, इस बार भी भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा की जीत ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के गठबंधन की मजबूरी को और स्पष्ट कर दिया।
देवेंद्र यादव ने बताया कि उनका गठबंधन आम आदमी पार्टी के साथ केवल लोकसभा चुनाव के लिए था और अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों के बीच कोई समझौता नहीं होगा। उनका कहना था कि अब कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेगी और पार्टी कार्यकर्ताओं को इसका पूरा विश्वास है कि वे दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता में आएंगे।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार
देवेंद्र यादव ने यह भी बताया कि पार्टी के भीतर हाल ही में हुई एक बैठक में कार्यकर्ताओं के उत्साह में इज़ाफा हुआ है। कृष्णा नगर जिला कांग्रेस समिति के अधिकारियों की बैठक में यadav ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे पार्टी को मजबूती देने के लिए और अधिक सक्रिय हों। उन्होंने कहा कि पार्टी की ब्लॉक और जिला समितियां बूथ स्तर तक सक्रिय हो गई हैं, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है और वे अगले चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त हैं।
यादव का कहना था, “लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह और विश्वास की लहर है। हम इस ऊर्जा का इस्तेमाल करके विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करेंगे।”
आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का अंत
इस बीच, देवेंद्र यादव ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव के लिए किया गया गठबंधन अब खत्म हो चुका है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस गठबंधन का कोई भविष्य नहीं है, और कांग्रेस अपनी स्वतंत्र स्थिति में चुनाव लड़ेगी।
यादव का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि कांग्रेस अब खुद को दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित करना चाहती है। उनका मानना है कि दिल्ली में बदलाव का समय आ गया है, और लोग अब सरकार से निराश हो चुके हैं।
कांग्रेस की उम्मीदें और AAP पर आरोप
लोकसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस की उम्मीदों को और प्रबल किया है। यादव ने कहा कि कांग्रेस ने अपनी कड़ी मेहनत और संगठनात्मक शक्ति से दिखा दिया है कि पार्टी में दम है। वहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में पिछले 11 सालों में जनता के साथ अन्याय किया है और जनता अब बदलाव की चाहत रखती है।
“दिल्ली में पिछले कुछ सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार काम नहीं कर रही है। यह पार्टी दिल्लीवासियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई है। साथ ही, भाजपा का भी इस पूरे घटनाक्रम में बड़ा हाथ है। वे दोनों पार्टियां अब एक दूसरे के साथ मिलकर दिल्ली के लोगों को धोखा देने का काम कर रही हैं,” यादव ने कहा।
भविष्य की रणनीति
देवेंद्र यादव का यह बयान कांग्रेस के लिए एक निर्णायक मोड़ की तरह है। उनका कहना था कि कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत के साथ अपनी तरफ से चुनाव लड़ेगी और पार्टी की योजना है कि वह हर बूथ पर जीत हासिल करे।
कांग्रेस की रणनीति अब पूरी तरह से दिल्ली में अपनी अलग पहचान बनाने की दिशा में है। जहां एक ओर आम आदमी पार्टी और भाजपा अपनी ताकत से चुनावी मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अपनी जमीन तैयार करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को भी तैयार कर लिया है।
दिल्ली में अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच कोई गठबंधन नहीं होगा, और कांग्रेस अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। यह निर्णय पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं के उत्साह और नई ऊर्जा का परिणाम है, जो दिल्ली में बदलाव की ओर इशारा करता है। अब देखना यह होगा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इस रणनीति का क्या असर पड़ता है, और क्या पार्टी वाकई अपने दम पर दिल्ली में सत्ता की ओर अग्रसर हो पाती है।