Delhi elections से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए संकट गहरा सकता है। पार्टी में कामकाजी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच उठ रही दरारें आने वाले चुनावों में पार्टी के लिए भारी नुकसान का कारण बन सकती हैं। इस दरार को सुलझाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अब खुद सामने आए हैं और वे पार्टी के कार्यकर्ताओं, नगर निगम पार्षदों और विधायकों से मुलाकात करके उनके गुस्से को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी, तो वे इन नेताओं के घर जाकर भी उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
AAP के भीतर बढ़ती तकरार
कांग्रेस, बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियों के मुकाबले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पार्टी द्वारा चुनावी रणनीतियों में कोई भी गड़बड़ी या अंदरूनी विवाद, AAP को बड़ी हार का सामना करवा सकता है। अरविंद केजरीवाल ने भी पार्टी की आंतरिक दरार को लेकर एक संदेश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि जो लोग आपस में लड़ाई करना चाहते हैं, वे यह काम फरवरी के बाद करें, फिलहाल सभी को चुनावी तैयारियों पर ध्यान देना चाहिए। उनका संदेश स्पष्ट था कि पार्टी की प्राथमिकता अब चुनाव जीतना है, न कि आपसी मतभेद।
केजरीवाल के लिए मुश्किलें
AAP इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में खासा चिंतित है। 2015 और 2020 के चुनावों में भारी बहुमत से जीतने वाली पार्टी इस बार अपनी स्थिति को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें सबसे बड़ा कारण पार्टी के नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। पार्टी के कई नेता, जिनमें खुद अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं, पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। केजरीवाल को लगभग छह महीने तिहाड़ जेल में बिताने के बाद हाल ही में जमानत मिली है, और इससे पार्टी की छवि पर भी असर पड़ा है। इस समय पार्टी के भीतर के विवाद और आरोप-प्रत्यारोप के चलते पार्टी को भारी नुकसान का खतरा हो सकता है।
AAP के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी की तैयारियों को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी ने एक बड़े स्तर पर काम शुरू कर दिया है। गोपाल राय ने बताया कि हाल ही में पार्टी ने सरकार द्वारा किए गए कामों की जानकारी घर-घर पहुंचाने के लिए अभियान चलाया था। इसके अलावा, विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा बुथ समितियों का गठन किया गया है। राय के अनुसार, पार्टी के नेता अब हर विधानसभा क्षेत्र में पदयात्राएं भी कर रहे हैं। केजरीवाल स्वयं इन पदयात्राओं के दूसरे चरण की शुरुआत करेंगे।
आगामी सम्मेलन और रणनीतियां
AAP अपनी आगामी रणनीति के तहत 11 नवंबर से जिला कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू करने जा रही है। पार्टी ने दिल्ली को 14 जिलों में बांट दिया है, जिनमें पांच विधानसभा क्षेत्र एक जिले के अंतर्गत आते हैं। इन जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को चुनावी लक्ष्य दिए जाएंगे, और चुनाव जीतने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इन सम्मेलनों को संबोधित करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं को आगामी चुनावों में जीत हासिल करने के लिए दिशा-निर्देश देंगे। पहला सम्मेलन क़िराड़ी में 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा।
AAP की तैयारियों को लेकर उत्साह
AAP के नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर पूरी तरह से जुट गए हैं। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए बुथ स्तर पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए हैं। केजरीवाल ने भी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि सभी को एकजुट होकर चुनावी तैयारियों में जुटना चाहिए और किसी भी तरह के भीतर के विवाद से बचना चाहिए।
पार्टी की इस तैयारी को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि वे चुनावी मैदान में पूरी ताकत के साथ उतरने के लिए तैयार हैं।
AAP की रणनीति पर सवाल
हालांकि, पार्टी की भीतरूनी राजनीति में गहरे विवादों की चर्चा भी हो रही है। कुछ वरिष्ठ नेता अपनी स्थिति को लेकर असंतुष्ट हैं, और उनके द्वारा उठाए गए आरोपों को लेकर पार्टी के अंदर एक अशांति का माहौल है। खासकर जब से केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उनकी छवि को लेकर कई सवाल उठे हैं, तब से पार्टी के कई नेता इस मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व से संतुष्ट नहीं हैं। इसका असर पार्टी की एकजुटता पर पड़ सकता है और चुनावी जीत के लिए जरूरी एकता में दरार डाल सकता है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की बढ़ती नजदीकियों के साथ, आम आदमी पार्टी के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है। अरविंद केजरीवाल और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कोशिशें इस समय पार्टी की आंतरिक एकता को बनाए रखने और चुनावी तैयारियों को सुदृढ़ करने की ओर है। हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोपों और कार्यकर्ताओं के आपसी मतभेदों के कारण AAP को इस बार चुनावी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। आगामी समय में यह देखना होगा कि पार्टी अपनी इन समस्याओं से कैसे निपटती है और चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर पाती है या नहीं।