हर साल 6 अक्टूबर को World Cerebral Palsy Day मनाया जाता है। यह दिन Cerebral Palsy से पीड़ित मरीजों और उनके परिवारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को इस गंभीर बीमारी और इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में जागरूक करना है। इसके साथ ही, यह दिन उन परिवारों का समर्थन करने का भी है जो इस बीमारी से प्रभावित हैं। लेकिन सवाल उठता है कि Cerebral Palsy क्या है और इसे कैसे पहचाना जा सकता है? इन प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए हमने डॉ. कपिल अग्रवाल (क्लिनिकल डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी विभाग, मारिंगो एशिया अस्पताल, गुरुग्राम) से बातचीत की। आइए जानते हैं उनके द्वारा साझा की गई जानकारी के बारे में।
Cerebral Palsy क्या है?
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि Cerebral Palsy एक ऐसी स्थिति है जिसमें नवजात के मस्तिष्क तक सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। यह अक्सर तब होता है जब बच्चा जन्म के समय या उसके तुरंत बाद सही तरीके से सांस नहीं लेता। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। यह स्थिति हल्की से लेकर गंभीर तक हो सकती है।
इस बीमारी के कारण बच्चे के शरीर का कोई भी हिस्सा पक्षाघातग्रस्त हो सकता है, दृष्टिहीनता हो सकती है, बोलने में समस्या हो सकती है, या असामान्य संज्ञानात्मक विकास भी हो सकता है। हालाँकि, यह मस्तिष्क को आगे कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है, लेकिन एक बार जो नुकसान हो चुका है, वह ठीक नहीं होता। इसके अलावा, बच्चे की विकलांगता इस पर निर्भर करती है कि पहले मस्तिष्क को कितना नुकसान हुआ था।
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि इस समस्या के कारण मरीज और उनके परिवारों को कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालाँकि, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसमें कुछ नई क्षमताएँ विकसित होती हैं, लेकिन इस बीमारी के कारण उसका विकास अपने साथियों की तुलना में कम होता है।
Cerebral Palsy के लक्षण क्या हैं?
मायो क्लिनिक के अनुसार, Cerebral Palsy के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं। कुछ लोगों के पूरे शरीर पर इसका असर होता है, जबकि दूसरों के केवल एक हिस्से पर। लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
1. चलने या खड़े होने में कठिनाई
बच्चों को चलने या खड़े होने में कठिनाई हो सकती है, जिससे उनकी गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
2. झुककर चलना या पैर एक दूसरे के पार रखना
कुछ बच्चे झुककर चलते हैं या उनके पैर एक दूसरे के पार होते हैं, जिससे उन्हें संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
3. बोलने या निगलने में समस्या
इस स्थिति में बच्चों को बोलने या खाने में कठिनाई हो सकती है, जिससे उनका संचार और पोषण प्रभावित होता है।
4. मांसपेशियों की कमजोरी
बच्चों में मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है, जिससे वे अन्य बच्चों की तरह सक्रिय नहीं रह पाते हैं।
5. असंतुलन या समन्वय समस्याएँ
बच्चों को संतुलन बनाए रखने में समस्या हो सकती है, जिससे उनके चलने में अस्थिरता होती है।
6. आंखों या कानों की समस्याएँ
इस स्थिति से पीड़ित बच्चों को दृष्टि या श्रवण संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जो उनके संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करती हैं।
7. सीखने या समझने में कठिनाई
कुछ बच्चे सीखने या समझने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित होती है।
8. दौरे पड़ना
Cerebral Palsy के मरीजों को दौरे पड़ने की संभावना भी हो सकती है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
Cerebral Palsy का निदान और उपचार
Cerebral Palsy का निदान अक्सर बच्चे के विकास के विभिन्न चरणों में किया जाता है। डॉक्टर बच्चे की विकासात्मक क्षमताओं, शारीरिक परीक्षण और अन्य परीक्षणों के आधार पर इसका निदान करते हैं। इसके लिए MRI या CT स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
उपचार
हालांकि Cerebral Palsy का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए विभिन्न उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें फिजियोथेरेपी, व्यावसायिक चिकित्सा, भाषण चिकित्सा और दवाएं शामिल हो सकती हैं। इन उपचारों का उद्देश्य बच्चे की क्षमताओं को बढ़ाना और उसकी गुणवत्ता को सुधारना है।