Delhi: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी सरकारी सुविधाओं को छोड़ने का फैसला किया है, जिसमें उनका सरकारी आवास, गाड़ी और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने इस बात की जानकारी दी और कहा कि केजरीवाल एक हफ्ते के भीतर सरकारी आवास खाली कर देंगे। इसके साथ ही संजय सिंह ने चिंता जताई कि केजरीवाल की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि उन पर पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं। इस खबर के बाद दिल्ली के लोग केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
केजरीवाल के इस्तीफे पर दिल्ली की जनता का आक्रोश
संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद दिल्ली की जनता में नाराजगी देखी जा रही है। उन्होंने कहा, “दिल्ली की जनता इस बात से नाराज है कि एक ईमानदार मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। पिछले दो सालों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार केजरीवाल की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रही थी, उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए जा रहे थे।” संजय सिंह ने आगे कहा, “अगर कोई और नेता होता, तो वह अपने पद से चिपका रहता, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने फैसला किया कि वह जनता के पास जाएंगे और अपनी ईमानदारी का प्रमाणपत्र लेंगे।”
सुरक्षा चिंताओं के बावजूद केजरीवाल का फैसला
संजय सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री रहते हुए केजरीवाल को कई सरकारी सुविधाएं मिली थीं, जैसे कि आवास और सुरक्षा। हालांकि, उन्होंने इस्तीफा देने के बाद इन सुविधाओं को छोड़ने का फैसला किया है। संजय सिंह ने कहा, “हमने केजरीवाल को समझाने की कोशिश की कि यह घर सिर्फ मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि आपकी सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। अब वे एक आम आदमी की तरह रहेंगे।” संजय ने यह भी कहा कि केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर उनकी पार्टी चिंतित है, क्योंकि उनके ऊपर पहले भी हमले हो चुके हैं और अब उनकी सुरक्षा के बिना उनकी जान को खतरा हो सकता है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्रियों को नहीं मिलती कोई विशेष सुविधा
दिल्ली के संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी आवास या गाड़ी जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद वे अब सिर्फ एक विधायक के तौर पर रहेंगे और दिल्ली में विधायकों को भी सरकारी आवास या गाड़ी जैसी सुविधाएं नहीं दी जातीं। उन्हें केवल वेतन ही मिलता है। केजरीवाल ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब उन्होंने यह साफ कर दिया कि वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीना चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने सभी सरकारी सुविधाओं को छोड़ने का निर्णय लिया है।
जनता के बीच चर्चा का विषय
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे और सरकारी सुविधाएं छोड़ने के फैसले ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। कुछ लोग इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं और इसे उनकी सादगी और ईमानदारी का प्रतीक मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक चाल मान रहे हैं। केजरीवाल के समर्थक उनकी सादगी और जनता के प्रति उनकी निष्ठा की सराहना कर रहे हैं। उनका मानना है कि केजरीवाल ने यह फैसला अपनी ईमानदारी और जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दिखाने के लिए लिया है।
वहीं, विपक्षी दलों ने इस कदम को एक राजनीतिक नाटक करार दिया है। उनका कहना है कि केजरीवाल सिर्फ सहानुभूति बटोरने के लिए ऐसा कर रहे हैं और यह एक चुनावी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि, केजरीवाल के इस फैसले ने दिल्ली की जनता के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या राजनेताओं को सत्ता में रहते हुए या उसके बाद भी सरकारी सुविधाएं लेनी चाहिए या नहीं।
केजरीवाल की सुरक्षा पर सवाल
संजय सिंह ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात पर जोर दिया कि अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने बताया कि पहले भी कई बार केजरीवाल पर हमले हो चुके हैं। जब केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन अब जब वह सभी सरकारी सुविधाएं छोड़ रहे हैं, तब उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। संजय सिंह ने कहा, “केजरीवाल की सुरक्षा हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हम चाहते हैं कि उनकी सुरक्षा के सभी इंतजाम किए जाएं, क्योंकि उन पर पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं।”
भविष्य की योजनाएं
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह आगे क्या कदम उठाते हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि वह जनता के बीच जाकर अपनी ईमानदारी और अपने कार्यों का प्रमाणपत्र लेंगे। संजय सिंह ने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने यह फैसला किया है कि वह जनता के दरबार में जाएंगे और जनता से ही अपनी ईमानदारी का प्रमाणपत्र लेंगे। उन्होंने जो भी काम किए हैं, वह जनता के सामने हैं और हमें पूरा भरोसा है कि जनता उनका समर्थन करेगी।”
केजरीवाल के इस फैसले के बाद दिल्ली की राजनीति में एक नई दिशा देखने को मिल रही है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी किस तरह से इस स्थिति का सामना करती है और किस तरह से जनता के बीच अपनी जगह बनाए रखती है।