Dengue New Symptoms: बरसात के बाद डेंगू का प्रकोप हर साल तेजी से बढ़ता है और इस वर्ष भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। बिहार की राजधानी पटना समेत देशभर में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बार, डेंगू के नए लक्षणों के साथ एक और चिंता उभर कर आई है, और वह है पेरासिटामोल के अधिक इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभाव। इस लेख में हम आपको डेंगू के नए लक्षण, पेरासिटामोल के ओवरडोज से होने वाले खतरों और इससे जुड़े सभी पहलुओं के बारे में जानकारी देंगे।
बिहार में डेंगू के मामले
इस साल अब तक बिहार में 1,774 डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें पिछले कुछ दिनों में 48 नए मामले दर्ज किए गए हैं। अकेले पटना में 36 नए डेंगू के मामले सामने आए हैं। पूरे राज्य में अब तक 832 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। पिछले छह दिनों में डेंगू के मामलों में 30.7% की वृद्धि देखी गई है। पटना के अलावा, सहरसा, सारण, लखीसराय, नालंदा और सुपौल जैसे जिलों में भी नए मामले सामने आए हैं।
डेंगू के नए लक्षण
इस बार के डेंगू के मामलों में कुछ नए लक्षण देखे जा रहे हैं, जो पिछले सालों से भिन्न हैं। इस नए स्ट्रेन में शुरुआती 3-4 दिनों तक बुखार कम नहीं होता, यहां तक कि पेरासिटामोल 650 लेने के बाद भी। इस स्थिति में मरीजों को हर 4-5 घंटे पर दवाई लेनी पड़ती है। इसके साथ ही, इस बार डेंगू के मरीजों में कम प्लेटलेट्स की बजाय काले उल्टी और काले मल जैसे लक्षण भी सामने आ रहे हैं। IGIMS मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने वाले हर 10 मरीजों में से 2-3 मरीज इन लक्षणों के साथ आ रहे हैं।
पेरासिटामोल का ओवरडोज बन रहा खतरनाक
डेंगू के इलाज में अत्यधिक पेरासिटामोल का इस्तेमाल भी खतरनाक साबित हो रहा है। कई मरीजों को हर चार से पांच घंटे में पेरासिटामोल की खुराक दी जा रही है, जिससे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। डॉ. मनीष मंडल बताते हैं कि डॉक्टर आमतौर पर 15 मिलीग्राम पेरासिटामोल प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से प्रतिदिन तीन बार लेने की सलाह देते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन खतरनाक हो सकता है। पेरासिटामोल का ओवरडोज लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
डेंगू के विभिन्न चरण और लक्षण
डेंगू बुखार के कई चरण होते हैं, और हर चरण में लक्षण बदल सकते हैं। सामान्य तौर पर डेंगू बिना दवाई के 5-7 दिनों में ठीक हो सकता है, लेकिन कभी-कभी बुखार के उतरने के बाद भी गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसमें शरीर में प्लेटलेट्स की कमी, नाक और मसूड़ों से खून आना, और त्वचा पर लाल चकत्ते बनना जैसे लक्षण शामिल हैं। यदि सही समय पर इलाज न हो, तो रक्तचाप गिरने से शरीर में तरल की कमी हो सकती है, जिससे मरीज कोमा में भी जा सकता है। कभी-कभी जब मरीज की स्थिति सुधर रही होती है, तब रक्त वाहिकाओं में तरल की मात्रा अचानक से बढ़ जाती है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है।
पेरासिटामोल का सुरक्षित उपयोग
पेरासिटामोल का अधिक उपयोग करने से लीवर पर बुरा असर पड़ता है। डेंगू के दौरान पेरासिटामोल का इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब डॉक्टर की सलाह हो। सामान्य तौर पर, डेंगू के मरीज को हर 4-6 घंटे में 500-650 मिलीग्राम पेरासिटामोल दी जाती है। लेकिन ओवरडोज की स्थिति में उल्टी, पेट में दर्द और लीवर की क्षति जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, मरीज को डॉक्टर की देखरेख में ही दवाई का सेवन करना चाहिए।
डेंगू से बचाव के उपाय
डेंगू से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। घर के आस-पास पानी जमा न होने दें और नियमित रूप से कीटनाशक का छिड़काव करें। मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। अगर बुखार के साथ-साथ अन्य लक्षण भी दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद से कोई दवाई न लें।