Wayanad landslide: केरल में Wayanad landslide ने विशाल तबाही मचाई है। अब तक सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजने के लिए विशेष सेंसर वाले ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजा नहीं जा सकता।
मिट्टी के नीचे क्या है, यह पता नहीं लगाया जा सकता
सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से कुछ गहराई तक की जानकारी प्राप्त की जा सकती है, लेकिन मलबे के नीचे दबे लोगों को खोजने के लिए इसे भरोसेमंद नहीं माना जा सकता। ISRO द्वारा आयोजित इंस्टाग्राम कार्यक्रम में उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष आधारित सेंसर वस्तुओं का पता लगाने में सीमित होते हैं, और मलबे के नीचे क्या है, यह पता लगाना संभव नहीं है।
गगनयात्री के बारे में दी जानकारी
सोमनाथ ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए चुने गए दो ‘गगनयात्री’ के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ISS की यात्रा से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलता है। हमारे एक अंतरिक्ष यात्री पूरी तैयारी प्रक्रिया में प्रशिक्षित होंगे, जिससे गगनयान मिशन के लिए गगनयात्री की तैयारी की जानकारी मिलेगी।
ISRO की विफलताओं पर भी बात की
सोमनाथ ने ISRO की प्रारंभिक विफलताओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के उत्सव को लेकर वह उत्साहित हैं। यह दिन ISRO के कार्यों और उपलब्धियों को मान्यता देने के रूप में मनाया जाएगा।