Varanasi: शनिवार को अंतिम चरण के 13 सीटों के लिए वोटिंग होगी। जब तक शनिवार को सूरज ढलेगा, तब तक देश की सत्ता का फैसला लिखा जा चुका होगा। यह चरण बेहद खास है, क्योंकि इस चरण में BJP के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र Varanasi भी वोटिंग करेगा। वैसे भी, Varanasi में सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री की जीत कितनी बड़ी होगी। वहीं, कुछ जगहों पर सीधे मुकाबले की संभावना है और कुछ जगहों पर त्रिकोणीय मुकाबले की।
पिछले चुनाव में Varanasi, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, सलेमपुर, बलिया और चंदौली में भगवा झंडा लहराया था। वहीं, BJP की सहयोगी अपना दल (S) मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में सफल रही थी। हालांकि, हाथी ने घोसी और गाजीपुर में चाल चली थी। अंतिम चरण की 13 सीटों पर क्या समीकरण हैं, आइए जानते हैं…
Varanasi: BJP के शीर्ष नेता की परीक्षा
Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए थे। 2019 में उन्होंने फिर बड़ी जीत दर्ज की और दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। कांग्रेस के अजय राय, जो इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं, लगातार तीसरी बार उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 के चुनाव में अजय राय की जमानत जब्त हो गई थी और 2019 के चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे। बसपा ने यहां अतर जमाल लारी को मैदान में उतारा है।
मुद्दे: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और ट्रैफिक समस्याओं से निजात।
गोरखपुर: BJP और इंडिया में मुकाबला
मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के कारण, गोरखपुर लोकसभा सीट यूपी की हॉट सीटों में से एक है। यहां BJP के मौजूदा सांसद रवि किशन शुक्ला, गठबंधन से सपा की काजल निषाद और बसपा के जावेद अशरफ चुनाव लड़ रहे हैं। यहां BJP और गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। रवि किशन पिछली बार यहां से सांसद बने थे और इस बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। गोरक्षपीठ का चुनावों पर बड़ा प्रभाव है।
मुद्दे: रोजगार, महंगाई और आवारा पशुओं की समस्या।
मिर्जापुर: एनडीए और इंडिया आमने-सामने
एनडीए उम्मीदवार अपना दल (S) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। सपा ने उनके खिलाफ भदोही के BJP सांसद रमेश बिंद को उतारा है। BJP ने रमेश का टिकट काट दिया था, इसलिए उन्होंने सपा से अनुप्रिया के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला किया। बसपा ने यहां ब्राह्मण चेहरा मनीष तिवारी को मैदान में उतारा है। यहां एनडीए और इंडिया के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है।
मुद्दे: कालीन, पीतल और मिट्टी के बर्तनों की उद्योग की समस्याओं का समाधान।
देवरिया: स्थानीय मुद्दों पर बात
यह संसदीय सीट कुशीनगर जिले की दो विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है। यहां मुख्य मुकाबला BJP के शशांक मणि और कांग्रेस के उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह के बीच है। बसपा के संदेश यादव भी मैदान में हैं। यहां कलराज मिश्रा और रामपति राम त्रिपाठी की जीत के बाद, BJP अब शशांक को मैदान में उतारकर हैट्रिक की तैयारी कर रही है।
मुद्दे: बंद चीनी मिलें, बाढ़ का स्थायी समाधान, शहर में रिंग रोड, जिला अस्पताल।
बांसगांव: बसपा ने राह मुश्किल की
बांसगांव लोकसभा क्षेत्र गोरखपुर मंडल की एकमात्र आरक्षित सीट है। BJP से दो बार के सांसद कमलेश पासवान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस से गठबंधन में सदल प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं। सदल इससे पहले तीन बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा से डॉ. रामसमुज उम्मीदवार हैं। यहां मुख्य मुकाबला BJP और गठबंधन के बीच है।
मुद्दे: बाढ़, सड़क, रोजगार, आवारा पशु।
सलेमपुर: जुटान की परीक्षा
यह संसदीय सीट देवरिया जिले की तीन विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है। यहां बलिया के मतदाता देवरिया के मतदाताओं से ज्यादा प्रभावशाली हैं। मुख्य मुकाबला BJP के रविंद्र कुशवाहा और इंडिया गठबंधन से सपा के रामशंकर राजभर के बीच है। बसपा ने भी भीम राजभर को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
मुद्दे: सलेमपुर को अलग जिला बनाना, बेरोजगारी, पलायन, उद्योगों की स्थापना।
गाजीपुर: अफजल-परास के बीच लड़ाई
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अफजल अंसारी का मुकाबला इस बार BJP के परासनाथ से है। मुख्तार अंसारी की मृत्यु के बाद चुनावी समीकरण बदल गए हैं। BJP और इंडिया गठबंधन ने सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाया है। चुनाव जातीय समीकरण पर टिका है और गठबंधन के उम्मीदवार इस समीकरण में खुद को मजबूत मान रहे हैं। अफजल अंसारी 2004 में सपा और 2019 में बसपा से सांसद रहे हैं।
मुद्दे: बंद मिलें, औद्योगिक क्षेत्र का विकास।
रॉबर्ट्सगंज: त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
रॉबर्ट्सगंज सीट भी अपना दल (S) के खाते में है। पार्टी ने वर्तमान सांसद पकौड़ी लाल कोल का टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को मैदान में उतारा है। जबकि सपा ने पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को मैदान में उतारकर मुकाबला कठिन बना दिया है, जो 2014 में BJP से इस सीट पर जीते थे। वहीं, बसपा ने दलित समुदाय के धनश्वर गौतम को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
मुद्दे: संविधान, आरक्षण और स्थानीय विकास।
घोसी: सपा-बसपा दे रहे कड़ी टक्कर
एनडीए उम्मीदवार के रूप में सुभासपा के अरविंद राजभर घोसी से मैदान में हैं। सपा ने उनके खिलाफ राजीव राय को और बसपा ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को मैदान में उतारा है। यहां जातीय वोटों के ध्रुवीकरण के कारण मुकाबला बहुत दिलचस्प हो गया है। कुल मिलाकर, यहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है।
मुद्दे: बेरोजगारी, महंगाई और पेपर लीक।
कुशीनगर: जातीय समीकरण उलझे हुए
BJP ने दूसरी बार ब्राह्मण चेहरा विजय कुमार दूबे पर भरोसा जताया है, जबकि सपा ने पिछड़ी जाति के अजय कुमार सिंह उर्फ पिंटू सैनथवार को मैदान में उतारा है। बसपा ने भी इस समीकरण को बनाए रखने के लिए पिछड़ी जाति के शुभ नारायण चौहान को मैदान में उतारा है। सपा से अलग होकर, स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय शोष
शनिवार को अंतिम चरण के 13 सीटों के लिए वोटिंग होगी। जब तक शनिवार को सूरज ढलेगा, तब तक देश की सत्ता का फैसला लिखा जा चुका होगा। यह चरण बेहद खास है, क्योंकि इस चरण में BJP के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र Varanasi भी वोटिंग करेगा। वैसे भी, Varanasi में सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री की जीत कितनी बड़ी होगी। वहीं, कुछ जगहों पर सीधे मुकाबले की संभावना है और कुछ जगहों पर त्रिकोणीय मुकाबले की।
पिछले चुनाव में Varanasi, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, सलेमपुर, बलिया और चंदौली में भगवा झंडा लहराया था। वहीं, BJP की सहयोगी अपना दल (S) मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में सफल रही थी। हालांकि, हाथी ने घोसी और गाजीपुर में चाल चली थी। अंतिम चरण की 13 सीटों पर क्या समीकरण हैं, आइए जानते हैं…
Varanasi: BJP के शीर्ष नेता की परीक्षा
Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए थे। 2019 में उन्होंने फिर बड़ी जीत दर्ज की और दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। कांग्रेस के अजय राय, जो इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं, लगातार तीसरी बार उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 के चुनाव में अजय राय की जमानत जब्त हो गई थी और 2019 के चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे। बसपा ने यहां अतर जमाल लारी को मैदान में उतारा है।
मुद्दे: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और ट्रैफिक समस्याओं से निजात।
गोरखपुर: BJP और इंडिया में मुकाबला
मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के कारण, गोरखपुर लोकसभा सीट यूपी की हॉट सीटों में से एक है। यहां BJP के मौजूदा सांसद रवि किशन शुक्ला, गठबंधन से सपा की काजल निषाद और बसपा के जावेद अशरफ चुनाव लड़ रहे हैं। यहां BJP और गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है। रवि किशन पिछली बार यहां से सांसद बने थे और इस बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। गोरक्षपीठ का चुनावों पर बड़ा प्रभाव है।
मुद्दे: रोजगार, महंगाई और आवारा पशुओं की समस्या।
मिर्जापुर: एनडीए और इंडिया आमने-सामने
एनडीए उम्मीदवार अपना दल (S) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। सपा ने उनके खिलाफ भदोही के BJP सांसद रमेश बिंद को उतारा है। BJP ने रमेश का टिकट काट दिया था, इसलिए उन्होंने सपा से अनुप्रिया के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला किया। बसपा ने यहां ब्राह्मण चेहरा मनीष तिवारी को मैदान में उतारा है। यहां एनडीए और इंडिया के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है।
मुद्दे: कालीन, पीतल और मिट्टी के बर्तनों की उद्योग की समस्याओं का समाधान।
देवरिया: स्थानीय मुद्दों पर बात
यह संसदीय सीट कुशीनगर जिले की दो विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है। यहां मुख्य मुकाबला BJP के शशांक मणि और कांग्रेस के उम्मीदवार अखिलेश प्रताप सिंह के बीच है। बसपा के संदेश यादव भी मैदान में हैं। यहां कलराज मिश्रा और रामपति राम त्रिपाठी की जीत के बाद, BJP अब शशांक को मैदान में उतारकर हैट्रिक की तैयारी कर रही है।
मुद्दे: बंद चीनी मिलें, बाढ़ का स्थायी समाधान, शहर में रिंग रोड, जिला अस्पताल।
बांसगांव: बसपा ने राह मुश्किल की
बांसगांव लोकसभा क्षेत्र गोरखपुर मंडल की एकमात्र आरक्षित सीट है। BJP से दो बार के सांसद कमलेश पासवान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस से गठबंधन में सदल प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं। सदल इससे पहले तीन बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा से डॉ. रामसमुज उम्मीदवार हैं। यहां मुख्य मुकाबला BJP और गठबंधन के बीच है।
मुद्दे: बाढ़, सड़क, रोजगार, आवारा पशु।
सलेमपुर: जुटान की परीक्षा
यह संसदीय सीट देवरिया जिले की तीन विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है। यहां बलिया के मतदाता देवरिया के मतदाताओं से ज्यादा प्रभावशाली हैं। मुख्य मुकाबला BJP के रविंद्र कुशवाहा और इंडिया गठबंधन से सपा के रामशंकर राजभर के बीच है। बसपा ने भी भीम राजभर को उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
मुद्दे: सलेमपुर को अलग जिला बनाना, बेरोजगारी, पलायन, उद्योगों की स्थापना।
गाजीपुर: अफजल-परास के बीच लड़ाई
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अफजल अंसारी का मुकाबला इस बार BJP के परासनाथ से है। मुख्तार अंसारी की मृत्यु के बाद चुनावी समीकरण बदल गए हैं। BJP और इंडिया गठबंधन ने सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगाया है। चुनाव जातीय समीकरण पर टिका है और गठबंधन के उम्मीदवार इस समीकरण में खुद को मजबूत मान रहे हैं। अफजल अंसारी 2004 में सपा और 2019 में बसपा से सांसद रहे हैं।
मुद्दे: बंद मिलें, औद्योगिक क्षेत्र का विकास।
रॉबर्ट्सगंज: त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
रॉबर्ट्सगंज सीट भी अपना दल (S) के खाते में है। पार्टी ने वर्तमान सांसद पकौड़ी लाल कोल का टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को मैदान में उतारा है। जबकि सपा ने पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार को मैदान में उतारकर मुकाबला कठिन बना दिया है, जो 2014 में BJP से इस सीट पर जीते थे। वहीं, बसपा ने दलित समुदाय के धनश्वर गौतम को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
मुद्दे: संविधान, आरक्षण और स्थानीय विकास।
घोसी: सपा-बसपा दे रहे कड़ी टक्कर
एनडीए उम्मीदवार के रूप में सुभासपा के अरविंद राजभर घोसी से मैदान में हैं। सपा ने उनके खिलाफ राजीव राय को और बसपा ने पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को मैदान में उतारा है। यहां जातीय वोटों के ध्रुवीकरण के कारण मुकाबला बहुत दिलचस्प हो गया है। कुल मिलाकर, यहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है।
मुद्दे: बेरोजगारी, महंगाई और पेपर लीक।
कुशीनगर: जातीय समीकरण उलझे हुए
BJP ने दूसरी बार ब्राह्मण चेहरा विजय कुमार दूबे पर भरोसा जताया है, जबकि सपा ने पिछड़ी जाति के अजय कुमार सिंह उर्फ पिंटू सैनथवार को मैदान में उतारा है। बसपा ने भी इस समीकरण को बनाए रखने के लिए पिछड़ी जाति के शुभ नारायण चौहान को मैदान में उतारा है। सपा से अलग होकर, स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया है। कुल मिलाकर, यहां मुकाबला बहुत दिलचस्प है।
मुद्दे: गंडक नदी की बाढ़ से निजात, विकास की गति बढ़ाना, बेरोजगारी।
बलिया: जाति सबसे ऊपर
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर BJP से इस सीट पर मैदान में हैं। उनका मुकाबला वरिष्ठ सपा नेता सनातन पांडे से है। जबकि बसपा ने लल्लन सिंह यादव को मैदान में उतारा है। यहां चुनाव बेरोजगारी और जिले के विकास के मुद्दे से ज्यादा जातीय समीकरण पर हो रहा है। ब्राह्मण मतदाता सनातन पांडे के पक्ष में झुकाव दिखा रहे हैं, जिससे BJP और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। पिछले चुनाव में BJP के उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह को सनातन पांडे ने कड़ी टक्कर दी थी। वीरेंद्र ने सिर्फ 15,519 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
मुद्दे: बेरोजगारी, उद्योगों का विकास।
महाराजगंज: कठिन मुकाबले की उम्मीद
BJP से पंकज चौधरी फिर मैदान में हैं। कांग्रेस के गठबंधन उम्मीदवार वीरेन्द्र चौधरी और बसपा से मौसमी आलम उन्हें चुनौती दे रहे हैं। BJP और कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार ओबीसी हैं। पंकज के पास BJP के पारंपरिक और सामुदायिक वोटों के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के कार्यों का समर्थन भी है। दूसरी ओर, वीरेन्द्र चौधरी को मुस्लिम वोटों और ओबीसी के साथ-साथ सामुदायिक समर्थन प्राप्त है। मौसमी आलम मुस्लिम वोटों और बसपा कैडर वोटों पर भरोसा कर रहे हैं।
मुद्दे: बंद चीनी मिलें, गन्ना भुगतान लंबित, बेरोजगारी।
चंदौली: BJP और सपा के बीच सीधा
BJP से डॉ. महेंद्रनाथ पांडे हैट्रिक की उम्मीद के साथ मैदान में हैं। हालांकि, इस बार समीकरण बदल गए हैं। डॉ. पांडे का सीधा मुकाबला इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार वीरेन्द्र सिंह से है। बसपा के सतेन्द्र मौर्य ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की, लेकिन वह मुकाबले में मजबूत नहीं दिख रहे हैं। इसलिए यहां त्रिकोणीय मुकाबला नहीं बन रहा है।